Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Rishi Panchami 2020: कौन हैं सप्त ऋषि, क्या है इनकी पूजा का महत्व, जानें यहां

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sun, 23 Aug 2020 05:18 PM (IST)

    Rishi Panchami 2020 हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं।

    Rishi Panchami 2020: कौन हैं सप्त ऋषि, क्या है इनकी पूजा का महत्व, जानें यहां

    Rishi Panchami 2020: हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं। विष्णु जी के मत्स्य अवतार की कथा में सप्त ऋषियों का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि इनके नामों का अगर जाप किया जाए तो व्यक्ति के पाप कर्मों का प्रभाव दूर हो जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, विष्णु भगवान के मत्स्य अवतार के समय धरती पर जल प्रलय आई थी। उसी समय एक बड़ी नाव में सप्तऋषि के साथ राजा मनु सवार थे। इन सभी की रक्षा विष्णु जी के मत्स्य अवतार ने की थी। कहा जाता है कि सप्तऋषियों के नाम का जाप रोज करना चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऋषि पंचमी के दिन व्रत-उपवास किया जाता है। शास्त्रों में सप्तऋषियों से संबंधित कई श्लोक प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक श्लोक निम्नलिखित है।

    कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।

    जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥

    दहंतु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥

    अर्थात् इसमें कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ ऋषियों के नामों का वर्णन किया गया है। इनका जाप करने से व्यक्ति के समस्य पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं।

    जानें इन ऋषियों के बारे में:

    पहले ऋषि कश्‍यप हैं। इनकी पत्नियां थीं। इनकी एक पत्नी का नाम अदिति था। माना जाता है कि इन्हीं से सभी देवता और इनकी एक और पत्नी दिति से दैत्यों की उत्पत्ति हुई है। बाकी की सभी पत्नियों से अलग-अलग जीवों की उत्पत्ति मानी गई है।

    दूसरे ऋषि अ​त्रि हैं। इनकी पत्नी का नाम अनसूया और पुत्र का नाम दत्तात्रेय है। माना जाता है कि त्रेतायुग में श्रीराम, लक्ष्मण और सीता वनवास समय में अत्रि ऋषि के आ़़श्रम में आकर रूके थे।

    तीसरे ऋषि भारद्वाज हैं। इन्होंने ही आयुर्वेद समेत कई अन्य महान ग्रंथों की रचना की थी। द्रोणाचार्य इनके पुत्र थे।

    चौथे ऋषि विश्वामित्र हैं। गायत्री मंत्र की रचना इनसे ही हुई थी। ये श्रीराम और लक्ष्‍मण के गुरु थे। सीता के साथ सम्पन्न हुए स्वयंवर में विश्वामित्र ही श्रीराम और लक्ष्मण को ले गए थे। मेनका ने विश्वामित्र का तप भंग किया था।

    पांचवें ऋषि गौतम हैं। इनकी पत्नी का नाम अहिल्या था। इनके ही श्राप से अहिल्या पत्थर की बन गई थीं।

    छठे ऋषि जमदग्नि हैं। इनकी पत्नी का नाम रेणुका है। इनके पुत्र का नाम भगवान परशुराम है। इनके पुत्र परशुराम ने अपने पिता यानि जमदग्नि के आदेश पर ही रेणुका का सिर काट दिया था। इस पर जमदग्नि ने परशुराम से वर मांगने को कहा। परशुराम ने माता रेणुका का जीवन मांग था।

    सातवें ऋषि वशिष्ठ हैं। राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के त्रेता युग में ये गुरू थे।