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    RinMochan Mangal Stotra: कर्ज की समस्या से मिलेगा छुटकारा, आज के दिन करें इस ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Tue, 28 Nov 2023 07:00 AM (IST)

    RinMochan Mangal Stotra ऋणमोचन मंगल स्तोत्र आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए बेहद कल्याणकारी माना गया है। ऐसे में जो जातक कर्ज से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें इस शक्तिशाली स्तोत्र का पाठ रोजाना या फिर प्रत्येक मंगलवार जरूर करना चाहिए। साथ ही हनुमान जी (Lord Hanuman) के मंदिर जाना चाहिए। यह नियम कम से कम 11 मंगलवार अवश्य करें।

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    Rin Mochan Mangal Stotra: ।।ऋणमोचन मंगल स्तोत्र।।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rin Mochan Mangal Stotra: मंगलवार का दिन संकटमोचन की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन हनुमान जी (Lord Hanuman) की पूजा करने से मंगल दोष का निवारण होता है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग लंबे समय से कर्ज से घिरे हुए हैं, उन्हें मंगलवार के दिन ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह स्तोत्र आर्थिक संकट को दूर करने के लिए काफी हद तक फलदायी है।

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    ऐसे में जो साधक कर्ज की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें इस मंगलकारी स्तोत्र का पाठ रोजाना या फिर प्रत्येक मंगलवार अवश्य करना चाहिए, जो इस प्रकार है -

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    ।।ऋणमोचन मंगल स्तोत्र।।

    ''मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।

    स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।।

    लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।

    धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।।

    अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।

    व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।।

    एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।

    ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।

    धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।

    कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्।।

    स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।

    न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।

    अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।

    त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।।

    ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।

    भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।।

    अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।

    तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्।।

    विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।

    तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।

    पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।

    ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।।

    एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।

    महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा''।।

    इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'