मान्यता है कि ये पक्षी कैलाश पर्वत से आते हैं
भगवान शिव की आज्ञा से एक बार नंदी ने तीन पर्वत स्थापित किए, उनमें से एक था 'वेदगिरि'। वेदगिरि एक छोटी पहाड़ी है। इसके नीचे एक छोटा सा शहर है, जिसका नाम है 'तिरुक्कुलुक्कुन्नम्' यानी 'पक्षी तीर्थ'।
भगवान शिव की आज्ञा से एक बार नंदी ने तीन पर्वत स्थापित किए, उनमें से एक था 'वेदगिरि'। वेदगिरि एक छोटी पहाड़ी है। इसके नीचे एक छोटा सा शहर है, जिसका नाम है 'तिरुक्कुलुक्कुन्नम्' यानी 'पक्षी तीर्थ'।
दक्षिण रेलवे के मद्रास एगमोर-रामेश्वरम् रेलमार्ग पर मद्रास से करीब 56 किमी दूरी पर आता है चेंगलपट्ट स्टेशन, यहां से 14 किमी दूरी पर है 'पक्षी तीर्थ'।
पक्षी तीर्थ वेद गिरि पहाड़ी के एक ओर समतल स्थान पर है। यहां दिन में 11 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच पक्षियों के दर्शन होते हैं। मान्यता है कि ये पक्षी कैलाश पर्वत से आते हैं।
लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है। पक्षियों में अमूमन कौए होते हैं, जिनका रंग मटमैला होता है। इन्हें स्थानीय लोग चमरगिद्धा, मलगिद्धा के नाम से पुकारते हैं। इस तरह के पक्षी उत्तर भारत के राजस्थान में अधिक पाए जाते हैं।
कहते हैं कि इस तरह के पक्षियों को पुजारी एकांत स्थान या गुफा में पाले हुए हैं। तय समय पर ये पक्षी वहां से आजाद किए जाते हैं और भोजन के लालच में यहां आते हैं। इनके बचे हुए भोजन को तीर्थयात्री प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इसलिए यह स्थान पक्षी तीर्थ के नाम से मशहूर है।
रुद्रकोटि शिवमंदिर: पक्षी तीर्थ में ही रुद्रकोटि शिव मंदिर स्थित है। भगवान शिव-पार्वती के इस मंदिर में यहां पार्वती जी को अभिरामनायकी कहते हैं। मंदिर में ही शंकरतीर्थ नाम का सरोवर है। मान्यता है कि जब बृहस्पति, कन्या राशि में प्रवेश करते हैं तब इस सरोवर में एक शंख उत्पन्न होता है।
वेदगिरि: पक्षीतीर्थ के नजदीक ही एक पहाड़ी है जिसे वेदगिरि के नाम से पहचाना जाता है। यह पहाड़ी तीर्थ स्थल के रूप में मानी जाती है। पहाड़ी पर एक शिव मंदिर है, जिसमें स्वयंभू शिवलिंग है। लगभग 500 सीढ़ियां चढ़कर इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
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