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    Shri Krishna Leela Stotra: आज पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 22 Nov 2023 07:00 AM (IST)

    धार्मिक मान्यता है कि बुधवार के दिन भगवान श्रीकृष्ण और श्रीजी की पूजा और भक्ति करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अगर आप भी भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो बुधवार के दिन विधि-विधान से कृष्ण कन्हैया और राधा रानी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय कृष्ण लीला स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

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    Shri Krishna Leela Stotra: आज पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shri Krishna Leela Stotra: सनातन धर्म में बुधवार का दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि बुधवार के दिन भगवान श्रीकृष्ण और श्रीजी की पूजा और भक्ति करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वहीं, श्रीजी की कृपा से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। अतः बुधवार के दिन विधि-विधान से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। अगर आप भी भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन विधि-विधान से कृष्ण कन्हैया और राधा रानी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय कृष्ण लीला स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

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    कृष्ण लीला स्तोत्रम्

    भूपालच्छदि दुष्टदैत्यनिवहैर्भारातुरां दुःखितां,

    भूमिं दृष्टवता सरोरुहभुवा संप्रार्थितः सादरं ।

    देवो भक्त-दयानिधिर्यदुकुलं शेषेण साकं मुदा,

    देवक्या: सुकृताङ्कुरः सुरभयन् कृष्णोऽनिशं पातु वः॥

    जातः कंसभयाद् व्रजं गमितवान् पित्रा शिशु: शौरिणा,

    साकं पूतनया तथैव शकटं वात्यासुरं चार्दयन् ।

    मात्रे विश्वमिदं प्रदर्श्य वदने निर्मूलयन्नर्जुनौ,

    निघ्नन् वत्सबकाघनामदितिजान् कृष्णोऽनिशम् पातु वः ॥

    ब्रह्माणं भ्रमयंश्च धेनुकरिपुर्निर्मर्दयन् काळियं,

    पीत्वाग्निं स्वजनौघघस्मरशिखम् निघ्नन् प्रलम्बासुरम् |

    गोपीनां वसनं हरन्द्विजकुलस्त्रीणां च मुक्तिप्रदो,

    देवेन्द्रं दमयन्करेण गिरिधृक् कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

    इन्द्रेणाशुकृताभिषेक उदधेर्नन्दं तथा पालयन्,

    क्रीडन् गोपनितम्बिनीभिरहितो नन्दस्य मुक्तिं दिशन् ।

    गोपी-हारक–शङ्खचूड मदहृन्निघ्नन्नरिष्टासुरं,

    केशिव्योमनिशाचरौ च बलिनौ कृष्णोऽनिशम् पातु वः॥

    अक्रूराय निदर्शयन्निजवपुर्निर्णेजकं चूर्णयन्,

    कुब्जां सुन्दर-रूपिणीं विरचयन् कोदण्डमाखण्डयन् ।

    मत्तेभम् विनिपात्य दन्तयुगलीं उत्पाटयन्मुष्टिभिः,

    चाणूरं सहमुष्टिकं विदलयन्कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

    नीत्वा मल्लमहासुरान् यमपुरीं निर्वर्ण्य दुर्वादिनं,

    कंसं मञ्चगतं निपात्य तरसा पञ्चत्वमापादयन्।

    तातं मातरमुग्रसेनमचिरान्निर्मोचयन्बन्धनात्,

    राज्यं तस्य दिशन्नुपासितगुरुः कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

    हत्वा पञ्चजनं मृतं च गुरवे दत्वा सुतं मागधं,

    जित्वा तौ च सृगालकालयवनौ हत्वा च निर्मोक्षयन् ।

    पातालं मुचुकुन्दमाशु महिषीरष्टौ स्पृशन् पाणिना,

    तं हंसं डिभकं निपात्य मुदितः कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

    घण्टाकर्णगतिं वितीर्य कलधौताद्रौ गिरीशाद्वरं

    विन्दन्नङ्गजमात्मजं च जनयन्निष्प्राणयन्पौण्ड्रकम् ।

    दग्द्ध्वा काशिपुरीं स्यमन्तकमणिं कीर्त्या स्वयं भूषयन्,

    कुर्वाणः शतधन्वनोऽपि निधनं कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

    भिन्दानश्च मुरासुरं च नरकं धात्रीं नयन्स्वस्तरुं,

    षट्साहस्रयुतायुतं परिणयन्नुत्पादयन्नात्मजान् ।

    पार्थेनैव च खण्डवाख्यविपिनं निर्द्दाहयन्मोचयन्,

    भूपान्बन्धनतश्च चेदिपरिपुः कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

    कौन्तेयेन च कारयन्क्रतुवरं सौभं च निघ्नन्नृगं,

    खातादाशु विमोचयंश्च द्विविदं निष्पीडयन्वानरम् ।

    छित्वा बाणभुजान् मृधे च गिरिशं जित्वा गणैरन्वितं,

    दत्वा वत्कलमन्तकाय मुदितः कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

    कौन्तेयैरुपसंहरन्वसुमतीभारं कुचेलोदयं,

    कुर्वाणोपि च रुग्मिणं विदलयन्संतोषयन्नारदम् ।

    विप्रायाशु समर्पयन्मृतसुतान्कालिङ्गकं कालयन्,

    मातुः षट्तनयान्प्रदर्श्य सुखयन् कृष्णोऽनिशं पातु वः॥

    अद्धा बुद्धिमदुद्धवाय विमलज्ञानं मुदैवादिशन्

    नानानाकिनिकायचारणगणैरुद्बोधितात्मा स्वयम् ।

    मायां मोहमयीं विधाय विततां उन्मूलयन्स्वं कुलं,

    देहं चापि पयस्समुद्रवसतिः कृष्णोऽनिशं पातु वः ॥

    कृष्णाङ्घ्रिद्वयभक्तिमात्रविगळत्सारस्वतश्लाघकैः,

    श्लोकैर्द्वादशभिः समस्तचरितं संक्षिप्य सम्पादितम् ।

    स्तोत्रं कृष्णकृतावतारविषयं सम्यक्पठन् मानुषो,

    विन्दन्कीर्तिमरोगतां च कवितां विष्णोः पदं यास्यति॥

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।