Gopal Stuti on Janmashtami: श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर करें गोपाल स्तुति का पाठ, पूरी होगी सभी मनोकामनाएं
Gopal Stuti on Janmashtami भगवान कृष्ण सोलह कला संपन्न भगवान विष्णु के पूर्णावतार माने जाते हैं। इस जन्माष्टमी पर शास्त्रों में वर्णित गोपाल स्तुति कर श्री कृष्ण को माखन- मिश्री का भोग लगाएं और दूध से उनका अभिषेक करें। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी....

Gopal Stuti on Janmashtami:भगवान कृष्ण, सोलह कला संपन्न भगवान विष्णु के पूर्णावतार माने जाते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु ने द्वापर युग में धर्म की स्थापना हेतु कृष्ण अवतार लिया था। भगवान कृष्ण ने अपनी लीलाओं के माध्यम से संपूर्ण मानव जाति का उद्धार किया और जीवन जीने की सही दिशा प्रदान की। परमावतार भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी का पर्व इस साल 30 अगस्त, दिन सोमवार को मनाया जाएगा। कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी पर रोहणी और कृत्तिका नक्षत्र लग रहा है, इसके साथ ही हर्षण योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान कृष्ण का पूजन करने से सभी सिद्धियों और मनोकानाओं की पूर्ति होती है। इस जन्माष्टमी पर शास्त्रों में वर्णित गोपाल स्तुति कर, श्री कृष्ण को माखन- मिश्री का भोग लगाएं और दूध से उनका अभिषेक करें। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी....
गोपाल स्तुति
नमो विश्वस्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे।
विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमो नमः॥1॥
नमो विज्ञानरूपाय परमानन्दरूपिणे।
कृष्णाय गोपीनाथाय गोविन्दाय नमो नमः॥2॥
नमः कमलनेत्राय नमः कमलमालिने।
नमः कमलनाभाय कमलापतये नमः॥3॥
बर्हापीडाभिरामाय रामायाकुण्ठमेधसे।
रमामानसहंसाय गोविन्दाय नमो नमः॥4॥
कंसवशविनाशाय केशिचाणूरघातिने।
कालिन्दीकूललीलाय लोलकुण्डलधारिणे॥5॥
वृषभध्वज-वन्द्याय पार्थसारथये नमः।
वेणुवादनशीलाय गोपालायाहिमर्दिने॥6॥
बल्लवीवदनाम्भोजमालिने नृत्यशालिने।
नमः प्रणतपालाय श्रीकृष्णाय नमो नमः॥7॥
नमः पापप्रणाशाय गोवर्धनधराय च।
पूतनाजीवितान्ताय तृणावर्तासुहारिणे॥8॥
निष्कलाय विमोहाय शुद्धायाशुद्धवैरिणे।
अद्वितीयाय महते श्रीकृष्णाय नमो नमः॥9॥
प्रसीद परमानन्द प्रसीद परमेश्वर।
आधि-व्याधि-भुजंगेन दष्ट मामुद्धर प्रभो॥10॥
श्रीकृष्ण रुक्मिणीकान्त गोपीजनमनोहर।
संसारसागरे मग्नं मामुद्धर जगद्गुरो॥11॥
केशव क्लेशहरण नारायण जनार्दन।
गोविन्द परमानन्द मां समुद्धर माधव॥12॥
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