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    Hindu Marriage: विवाह में गठबंधन के समय आंचल में क्यों रखी जाती हैं ये 5 चीजें?

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 18 Jun 2024 09:20 PM (IST)

    Wedding Rituals सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र को विशेष स्थान प्राप्त है। ज्योतिष कुंडली देखकर व्यक्ति की भविष्यवाणी करते हैं। साथ ही विवाह योग्य वर और वधू की कुंडली मिलान कर वैवाहिक जीवन के बारे में पूरी जानकारी देते हैं। कुंडली मिलान में किसी प्रकार का दोष लगने पर वर और वधू को वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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    Hindu Marriage: ब्रह्म विवाह क्या है और कैसे किया जाता है?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hindu Marriage: सनातन धर्म में सोलह संस्कार का विधान है। इनमें प्रमुख विवाह संस्कार (Hindu Marriage Wedding Rituals) है। विवाह को सनातन धर्म में पवित्र कर्म कांड माना गया है। शास्त्रों में विवाह के आठ प्रकार बताए गए हैं। इनमें सर्वश्रेष्ठ ब्रह्म विवाह है। वर्तमान समय में ब्रह्म विवाह के तहत ही लड़के और लड़की का विवाह होता है। आसान शब्दों में कहें तो वर और वधु ब्रह्म विवाह के तहत ही परिणय सूत्र में बंधते हैं। ज्योतिष वर और वधु के सफल और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए शादी से पूर्व कुंडली मिलान की सलाह देते हैं। कुंडली मिलान में किसी प्रकार के दोष लगने पर निवारण अनिवार्य है। साथ ही विवाह में धार्मिक एवं स्थानीय रीति-रिवाजों का पालन अनिवार्य है। लेकिन क्या आपको पता है कि विवाह में गठबंधन (Gathbandhan In Wedding) क्यों किया जाता है और गठबंधन के समय वधू के आंचल में पांच चीजें क्यों रखी जाती हैं? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    गठबंधन क्यों होता है ?

    गृहस्थ जीवन के लिए विवाह अनिवार्य है। इस संस्कार के तहत वर और वधू को समाज द्वारा एक साथ रहने की अनुमति दी जाती है। विवाह के दौरान कई रस्में निभाई जाती हैं। इनमें जयमाला, विवाह हवन, सात फेरे, कन्यादान, गठबंधन हैं। दो हृदय का मिलन गठबंधन कहलाता है। इस रस्म से वर और वधू दोनों एक दूसरे के हो जाते हैं। इसके लिए उन दोनों के मध्य सात फेरे से पहले गठबंधन किया जाता है। इस रस्म से वर और वधू का रिश्ता मजबूत होता है। गठबंधन एकता का भी प्रतीक है। इस रस्म से वधू हमेशा के लिए वर की हो जाती हैं। वहीं, वर भी वधु के लिए समर्पित हो जाता है। गठबंधन में वर और वधू के वस्त्रों के मध्य गांठ बांधा जाती है। इसमें गांठों की संख्या दो होती है। ये गांठ बड़ी बहन बांधती हैं। कई जगहों पर बड़ा भाई या पिता भी बांधते हैं।

    कैसे किया जाता है गठबंधन ?

    सात फेरे लेने से पहले गठबंधन किया जाता है। इसमें वधू की साड़ी के आंचल और वर के धोती के मध्य गठबंधन किया जाता है। वर के धोती का रंग पीला होता है। पीला रंग सुख, समृद्धि एवं शुभता का प्रतीक है। वर और वधू के मध्य गठबंधन करते समय वस्त्रों में पांच शुभ चीजें रखी जाती हैं। ये शुभ चीजें हल्दी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का और पुष्प हैं।

    हल्दी

    जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है। हल्दी  रंग सुख और सौभाग्य का प्रतीक है। भगवान विष्णु को हल्दी अर्पित करने से घर में शुभ और मंगल का आगमन होता है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। अतः गठबंधन के समय आंचल में हल्दी रखी जाती है। इससे वर और वधू के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।  

    सिक्का

    गठबंधन के समय आंचल में सिक्का भी रखा जाता है। सिक्का धन का प्रतीक होता है। इसका आशय यह है कि वर और वधू दोनों का धन पर समान अधिकार रहेगा। वर या वधू द्वारा अर्जित या पैतृक संपत्ति पर दोनों का पूर्ण अधिकार होगा। धन व्यय के समय दोनों की सहमति भी अनिवार्य है। इससे वर और वधू का वैवाहिक जीवन सुखमय बीतता है।

    दूर्वा

    देवों के देव महादेव के अनुज पुत्र भगवान गणेश को दूर्वा अति प्रिय है। अतः भगवान गणेश को पूजा के समय दूर्वा अर्पित की जाती है। भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत को लेकर दानवों और देवताओं के मध्य द्व्न्द हुआ, तो कलश से अमृत की कुछ बूंदे दूर्वा पर गिर गई थी। इसके चलते दूर्वा अमर हो गई। गठबंधन के समय दूर्वा रखा जाता है। इससे वर और वधू के मध्य प्रेम कम या क्षीण नहीं होता है।  

    अक्षत

    भगवान शिव को अक्षत चढ़ाया जाता है। अक्षत यानी अखंडित चावल है। चावल अन्न और धन का प्रतीक है। अन्न को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। गठबंधन के समय दुल्हन के आंचल में अक्षत भी रखा जाता है। वर और वधू के वैवाहिक जीवन में कभी अन्न और धन की कमी न हो। इसके लिए गठबंधन के समय आंचल में अक्षत रखा जाता है।

    पुष्प

    देवी-देवताओं को पूजा के समय पुष्प अर्पित किया जाता है। पुष्प सकारात्मक शक्ति, प्रेम, सुख सौभाग्य, प्रसन्नता, सम्मान का प्रतीक है। गठबंधन के समय दुल्हन के आंचल में पुष्प भी रखा जाता है। वर और वधू के वैवाहिक जीवन में प्रेम, सुख, सौभाग्य और प्रसन्नता बनाए रखने के लिए आंचल में पुष्प भी रखा जाता है।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।