Pradosh Vrat 2025: रवि प्रदोष व्रत पर दुर्लभ 'त्रिपुष्कर योग' समेत बन रहे हैं 8 मंगलकारी संयोग
शिव पुराण में वर्णित है कि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। रविवार के दिन पड़ने के चलते यह रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा। रवि प्रदोष व्रत करने से आयु लंबी होती है। साथ ही आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में शिव शक्ति की विशेष पूजा की जाती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ravi Pradosh Vrat 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार, 09 फरवरी को प्रदोष व्रत है। यह पर्व हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-भक्ति की जाती है। शिव पुराण में प्रदोष व्रत की महिमा के बारे में विस्तार से बताया गया है।
धार्मिक मत है कि देवों के देव महादेव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा, जीवन में व्याप्त संकटों से मुक्ति मिलती है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो प्रदोष व्रत पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव-शक्ति की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 09 फरवरी को रवि प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल शाम 07 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 42 मिनट तक है। वहीं, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 फरवरी को शाम 06 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत पर संध्याकाल में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इसके लिए 09 फरवरी को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।
शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो रवि प्रदोष व्रत पर त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा हैं। त्रिपुष्कर योग का समय संध्याकाल 05 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक है। ज्योतिष त्रिपुष्कर योग को शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।
माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 58 मिनट तक है। वहीं, प्रीति योग का संयोग 12 बजकर 07 मिनट से हो रहा है। जबकि, आर्द्रा और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसके अलावा, बव, बालव और कौलव करण के योग हैं। इन योग में भगवान शिव की साधना-उपासना करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 04 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 07 मिनट पर
- चन्द्रोदय- दोपहर 02 बजकर 52 मिनट पर
- चंद्रास्त- सुबह 05 बजकर 36 मिनट पर (10 फरवरी)
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 20 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 26 मिनट से 03 बजकर 10 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 04 मिनट से 06 बजकर 30 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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