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    Ravi Pradosh Vrat पर बनेगा दुर्लभ संयोग, बरसेगी शिवजी की कृपा, पूरे होंगे अधूरे काम

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 02 Jun 2025 01:43 PM (IST)

    देवों के देव महादेव की लीला अपरंपार है। देवों के देव महादेव (Pradosh Vrat 2025 Date) अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से साधक को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

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    Ravi Pradosh Vrat 2025: रवि प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, रविवार 08 जून को प्रदोष व्रत है। रविवार के दिन पड़ने के चलते यह रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा। यह पर्व दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाही मुराद पाने के लिए व्रत रखा जाता है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि (Pradosh Vrat 2025 Date) पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से हर एक मनोकामना पूरी होगी। आइए, शिव और शिववास योग समेत अन्य मंगलकारी संयोग का समय जानते हैं-

    यह भी पढ़ें: शनिदेव की द्दष्टि क्यों होती है अमंगलकारी? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

    08 जून को सुबह 07 बजकर 17 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 09 जून को सुबह 09 बजकर 35 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी। इस शुभ अवसर पर पूजा के लिए शुभ समय संध्याकाल 07 बजकर 18 मिनट से लेकर 09 बजकर 19 मिनट तक है।

    शिव योग

    ज्योतिषियों की मानें तो रवि प्रदोष व्रत पर मंगलकारी शिव योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण 12 बजकर 19 मिनट से हो रहा है। वहीं, समापन 09 जून को दोपहर 01 बजकर 19 मिनट पर होगा। इस योग में महादेव की पूजा एवं भक्ति करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होगी। साथ ही साधक पर महादेव की कृपा बरसेगी।

    शिववास योग

    रवि प्रदोष व्रत पर देवों के देव महादेव सुबह 07 बजकर 17 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी की सवारी करेंगे। इस दौरान भगवान शिव की पूजा एवं भक्ति करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

    नक्षत्र एवं चरण

    ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर स्वाति और विशाखा नक्षत्र का संयोग है। इसके साथ ही बव, बालव और तैतिल करण के योग बन रहे हैं। इन योग में देवों के देव महादेव की भक्ति भाव से पूजा की जाएगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 18 मिनट पर
    • चन्द्रोदय- शाम 04 बजकर 50 मिनट पर
    • चंद्रास्त- ब्रह्म मुहूर्त में 03 बजकर 31 मिनट पर (09 जून)
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 37 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात 12 बजे से 12 बजकर 40 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।