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    Ravi Pradosh Vrat 2024: इस विधि से करें प्रदोष व्रत की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और मंत्र

    Updated: Fri, 26 Apr 2024 11:40 AM (IST)

    सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है। इस दिन शिव जी की पूजा का विधान है। मई माह का पहला प्रदोष व्रत 5 मई (Ravi Pradosh Vrat 2024) को रखा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शंकर की उपासना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

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    Ravi Pradosh Vrat 2024: रवि प्रदोष व्रत, 2024 की पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ravi Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत महीने में दो बार मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा होती है। प्रदोष का अर्थ है अंधकार को समाप्त करना। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र दिन का उपवास रखने से खुशी, स्वास्थ्य, सफलता और मुक्ति का वरदान प्राप्त होता है। मई माह का पहला प्रदोष 5 मई, 2024 दिन रविवार को रखा जाएगा।

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    रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है, जिसका संबंध सूर्य ग्रह से भी होता है, तो आइए इस खास दिन से जुड़ी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं -

    रवि प्रदोष व्रत, 2024 डेट और शुभ मुहूर्त

    हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 मई, 2024 दिन रविवार शाम 05 बजकर 41 मिनट से वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत हो जाएगी। यह 6 मई, 2024 दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि को देखते हुए इस बार प्रदोष व्रत 5 मई, 2024 को रखा जाएगा। ।

    रवि प्रदोष व्रत, 2024 की पूजा विधि

    प्रदोष का व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है। इस दिन व्रती सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें। एक वेदी पर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद पंचामृत से शिव जी का भाव के साथ अभिषेक करें। भोलेनाथ को चंदन और पार्वती माता को कुमकुम का तिलक लगाएं।

    फल, खीर, मेवा, और सफेद मिठाई का भोग लगाएं। शिव चालीसा व शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। आरती से पूजा को पूर्ण करें। सूर्योदय से सूर्यास्त तक कठिन व्रत का पालन करें। शिव पूजन में बेल पत्र अवश्य शामिल करें। पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे।

    भगवान शंकर पूजन मंत्र

    1. शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

    ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

    2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    यह भी पढ़ें: Ravi Pradosh Vrat 2024: इस दिन रखा जाएगा मई माह का पहला प्रदोष व्रत, जानिए तिथि और इसका महत्व

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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