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    Ravi Pradosh Vrat 2024: आज है रवि प्रदोष व्रत, नोट करें शिव पूजन की विधि, प्रिय फूल और भोग

    सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को बेहद खास माना गया है। यह दिन पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित है। इस उपवास को रखने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। वैदिक पंचांग के अनुसार आज यानी 29 सितंबर को रवि प्रदोष का व्रत रखा जा रहा है जो बेहद फलदायी है तो चलिए इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी यहां जानते हैं।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 29 Sep 2024 09:20 AM (IST)
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    Ravi Pradosh Vrat 2024: शिव जी पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में रवि प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण व्रत माना गया है, जो अपने आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। इस पावन दिन पर भगवान शंकर और देवी पार्वती की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भक्त कठिन उपवास का पालन करते हैं और महादेव का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा करते हैं।

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    वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2024) 29 सितंबर, 2024 यानी आज मनाया जा रहा है, तो आइए इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी यहां जानते हैं।

    भगवान शिव भोग (Bhog)

    ठंडाई, लस्सी, खीर और सफेद मिठाई।

    शिव जी प्रिय पुष्प ( Priya Phool)

    सफेद मदार या आक के फूल।

    पूजा विधि ( Ravi Pradosh Puja Vidhi)

    सुबह उठकर स्नान करें। पूजा की शुरुआत से पहले मंदिर को अच्छी तरह से साफ कर लें। फिर शिव जी की प्रतिमा और शिवलिंग का जलाभिषेक करें। सफेद फूल, बेलपत्र, भांग और धतूरा आदि चीजें अर्पित करें। पुरुष शिवलिंग पर जनेऊ चढ़ा सकते हैं, लेकिन महिलाओं को जनेऊ नहीं चढ़ाना चाहिए। फिर सफेद चंदन से देवों के देव महादेव के माथे पर त्रिपुंड बनाएं। देसी घी का दीया जलाएं और भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। रुद्राक्ष की माला से शिव जी के 108 नामों का जाप करें।

    इसके अलावा भगवान शिव को अक्षत, मीठा पान, मौसमी फल चढ़ाएं। इसके साथ ही महिलाएं सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए माता पार्वती को शृंगार की सामग्री चढ़ाएं। अंत में आरती से पूजा को पूर्ण करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।