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    Ratna Astrology: ये है मां लक्ष्मी का प्रिय रत्न, धारण करने से नहीं रहती धन की कमी

    Updated: Tue, 23 Jul 2024 11:43 AM (IST)

    रत्न शास्त्र को ज्योतिष शास्त्र का ही एक हिस्सा माना गया है जिसमें हर रत्न का एक खास महत्व बताया गया है। रत्न शास्त्र के अनुसार रत्नों को सही विधि से धारण किया जाए तो इससे व्यक्ति की कई समस्याएं दूर हो सकती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि कौन-सा रत्न मां लक्ष्मी का प्रिय माना गया है और इसे धारण करने की सही विधि क्या है।

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    Ratna Astrology: इस रत्न को धारण करने से प्राप्त होती है मां लक्ष्मी की कृपा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में माना गया है कि यदि किसी व्यक्ति को धन संबंधित कुछ समस्या है, तो ऐसे में उसे मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इससे साधक को अपनी स्थिति में लाभ देखने को मिल सकता है। साथ ही एक ऐसा रत्न भी बताया गया है, जिसका संबंध मां लक्ष्मी से माना गया है और इसे धारण करने से साधक को मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।

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    यह है प्रिय रत्न

    रत्न शास्त्र के अनुसार, स्फटिक रत्न को मां लक्ष्मी का प्रिय रत्न माना गया है। इसे सही तरीके से धारण करने से व्यक्ति को मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। यह एक रंगहीन और पारदर्शी पत्थर होता है, जिसे लेकर यह मान्यता है कि मां लक्ष्मी इसे अपने कंठ में धारण करती हैं, इसलिए इस स्फटिक को कंठ हार भी कहा जाता है।

    पहनने पर मिलते हैं ये लाभ

    रत्न शास्त्र के अनुसार, स्फटिक की माला पहनना ज्यादा शुभ माना जाता है। इसे धारण करने से मां लक्ष्मी की कृपा से कभी धन की कमी नहीं होती। इतना ही नहीं, इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति को पारिवारिक कलह से भी मुक्ति मिल सकती है। अधिक लाभ के लिए आप स्फटिक की माला को अपने घर की तिजोरी में भी रख सकते हैं। ध्यान रहे कि इसके लिए तिजोरी को दक्षिण दिशा में इस प्रकार रखें कि उसका मुख उत्तर दिशा की ओर हो।  

    यह भी पढ़ें - Ratna Shastra: इन रत्नों से मिलेगी करियर में सफलता, किस पेशे के लोग कर सकते हैं धारण

    स्फटिक धारण करने के नियम

    स्फटिक रत्न को धारण करने से लिए शुक्रवार या बुधवार का दिन बेहतर माना गया है। इस रत्न को आप माला के अलावा अंगूठी के रूप में भी धारण कर सकते हैं। धारण करने से पहले स्फटिक को गंगाजल से शुद्ध कर लें और इसके बाद मां लक्ष्मी के चरणों में अर्पित कर दें। इसके बाद 7 बार ऊं श्रीं लक्ष्म्यै नमः मंत्र का जाप करें और इसके बाद ही रत्न को धारण करें।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।