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    Annapurna Jayanti 2024: अन्नपूर्णा जयंती पर 'दुर्लभ शिववास' का बन रहा है संयोग, प्राप्त होगा अक्षय फल

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 08 Dec 2024 03:42 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करने से साधक द्वारा जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही जीवन में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव संग जग की देवी मां पार्वती (Annapurna Jayanti 2024) की पूजा की जाती है। साथ ही दान-पुण्य भी किया जाता है।

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    Annapurna Jayanti 2024: मां अन्नपूर्णा को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क,नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती है। यह पर्व हर वर्ष  मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा और भगवान शिव की पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से अन्न एवं धन के भंडार भरे रहते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं शांति बनी रहती है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान शिव संग जगत की देवी माँ अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो अन्नपूर्णा जयंती पर दुर्लभ शिववास योग समेत कई मंगलकारी योग (Annapurna Jayanti 2024 Yoga) बन रहे हैं। इन योग में शिव-शक्ति की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं-

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    अन्नपूर्णा जयंती शुभ मुहूर्त (Annapurna Jayanti 2024 Date And Shubh Muhurat)

    मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 14 दिसंबर को संध्याकाल 04 बजकर 58 मिनट पर होगी और   15 दिसंबर को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। पंचांग गणना के अनुसार,  15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। इस दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा है। अत: साधक गंगा स्नान कर विधि विधान से मां अन्नपूर्णा की पूजा करेंगे।

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    शिववास योग

    ज्योतिषियों की मानें तो अन्नपूर्णा जयंती पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से हो रहा है। इस शुभ अवसर पर शिव-शक्ति की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होगी। साथ ही सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलेगी।

    शुभ योग

    मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शुभ योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग में ही स्नान-ध्यान किया जाएगा। साथ ही मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाएगी। शुभ योग का समापन 16 दिसंबर को देर रात 02 बजकर 04 मिनट पर होगा। इस योग में स्नान-ध्यान कर भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

    नक्षत्र एवं करण

    अन्नपूर्णा जयंती पर मृगशिरा नक्षत्र का संयोग है। इसके साथ ही बव और बालव करण के शुभ योग बन रहे हैं। ये सभी मंगलकारी योग हैं। इन योग में भगवान शिव और मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।