Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी पर प्रीति योग समेत बन रहे हैं 6 शुभ संयोग, प्राप्त होगा दोगुना फल
सनातन शास्त्रों में निहित है कि मासिक दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा (Masik Durgashtami 2024) की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस शुभ अवसर पर साधक मनोवांछित फल पाने के लिए व्रत भी रखती हैं। मासिक दुर्गाष्टमी पर विशेष उपाय भी किए जाते हैं। साधक श्रद्धा भाव से जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के अगले दिन मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। यह पर्व मां दुर्गा को समर्पित है। इस दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है। ज्योतिषियों की मानें तो मासिक दुर्गाष्टमी पर प्रीति योग समेत कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। आइए, योग जानते हैं।
मासिक दुर्गाष्टमी शुभ मुहूर्त (Masik Durga Ashtami Shubh Muhurat)
सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि मासिक दुर्गाष्टमी पर जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा निशा काल में होती है। अतः मासिक दुर्गाष्टमी पर मध्य रात्रि में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर जगत जननी मां दुर्गा की पूजा का समय देर रात 11 बजकर 46 मिनट तक है। साधक निशा काल में श्रद्धा भाव से मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं।
प्रीति योग
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर प्रीति योग का संयोग बन रहा है। इस योग का समापन रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा। इसके बाद आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष प्रीति योग को शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ मानते हैं। प्रीति और आयुष्मान योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के बिगड़े काम बन जाते हैं।
रवि योग
भाद्रपद माह की मासिक दुर्गाष्टमी पर रवि योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 09 बजकर 22 मिनट से हो रहा है। वहीं, इस योग का समापन 12 सितंबर को सुबह 06 बजकर 05 मिनट पर होगा। रवि योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होगा। ज्योतिषियों की मानें तो मासिक दुर्गाष्टमी पर बव करण का निर्माण हो रहा है। वहीं, ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग रात 09 बजकर 22 मिनट तक है। इसके बाद मूल नक्षत्र का संयोग बन रहा है।
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