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    Rangbhari Ekadashi 2025: रंगभरी एकादशी पर करें मां तुलसी की पूजा, अखंड सौभाग्य की होगी प्राप्ति

    रंगभरी एकादशी का हिंदुओं में बहुत ज्यादा महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस साल यह व्रत फाल्गुन महीने में 10 मार्च (Amalaki Ekadashi 2025) को रखा जाएगा। कहते हैं कि इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु और शिव जी खुश होते हैं क्योंकि यह दिन उनकी पूजा के लिए बहुत उत्तम माना जाता है। वहीं इस दिन तुलसी चालीसा का पाठ भी जरूर करना चाहिए।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 08 Mar 2025 08:46 AM (IST)
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    Rangbhari Ekadashi 2025: रंगभरी एकादशी पर करें ये काम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रंगभरी एकादशी हर साल फाल्गुन महीने में भक्ति के साथ मनाई जाती है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु के साथ शिव जी और देवी पार्वती की पूजा करते हैं। वहीं, इस मौके पर तुलसी जी की पूजा भी जरूर की जाती है। ऐसे में इस एकादशी (Rangbhari Ekadashi) के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें। फिर तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं। उन्हें मौली धागा, चुनरी, नारियल चढ़ाएं। फिर तुलसी चालीसा का पाठ करें। आखिरी में तुलसी माता की आरती करें। ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी और वैवाहिक जीवन की मुश्किलें दूर होंगी, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।

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    ।।दोहा तुलसी चालीसा।।

    श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।

    जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।

    नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।

    दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।

    विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।

    भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।

    जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।

    करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।

    कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।

    तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।

    कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।

    वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।

    श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।

    कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।

    छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।

    तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।

    औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,

    देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।

    वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।

    नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।

    नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।

    नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।

    नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।

    नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।

    नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।

    जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।

    निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।

    करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।

    शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।

    क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।

    मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।

    जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।

    बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।

    प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।

    चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।

    करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।

    पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।

    यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।

    करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।

    है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।

    तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।

    भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।

    यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।

    गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।

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