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    Ramadan 2025: ईशपरायणता पैदा करना रोजे का है वास्तविक उद्देश्य

    By Jagran News Edited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 24 Mar 2025 02:32 PM (IST)

    रमजान (Ramadan 2025) के महीने में दिल से नेकी और दान करना चाहिए। इस महीने में अल्लाह-पाक की अधिक से अधिक इबादत करनी चाहिए। साथ ही जरूरतमंदों को अधिक से अधिक मदद करें। ऐसा करने से जाने-अनजाने में किये गए गुनाह माफ हो जाते हैं। इस्लाम धर्म में आर्थिक रूप से मजबूत लोगों के लिए जीवन में एक बार हज करना अनिवार्य है।

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    Ramadan 2025: नेकी का महीना होता है रमजान

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इस्लाम धर्म में रमजान महीने का खास महत्व है। यह महीना बेहद पवित्र माना जाता है। इस महीने में प्रतिदिन रोजा रखा जाता है। रोजे रखने के दौरान पांच वक्त का नमाज अदा की जाती है। इसके साथ ही रमजान के महीने में दान और जकात भी दिया जाता है। धार्मिक मत है कि रमजान के दौरान रोजे रखने और दान करने से व्यक्ति पर अल्लाह की रहमत बरसती है। रमजान के दौरान लोग आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करते हैं।

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    धर्म जानकारों ने कहना है कि रमजान का महीना नेकी का होता है। इस महीने में बंदा खुदा के बेहद करीब रहता है। रमजान के दौरान इबादत और लोगों की मदद करनी चाहिए। लोगों की मदद में कोई कंजूसी नहीं करना चाहिए। दीन और हीन लोगों की मदद करने से बंदे में इमान जगता है। दुनिया भर में रमजान धूमधाम से इबादत से मनाया जाता है।

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    डा. सलीम इंजीनियर (उपाध्यक्ष, जमात ए इस्लामी हिंद) बताते हैं कि इस्लाम के पांच मूलभूत आधार हैं यानी हर मुस्लिम के लिए इनकी पाबंदी करना अनिवार्य है। एक ईश्वर की गवाही, दिन में पांच वक्त की नमाज, साल में रमजान के महीने में रोजा रखना, आर्थिक रूप से समृद्ध मुस्लिम के लिए जकात अदा करना, और जिस व्यक्ति में सामर्थ्य हो जीवन में एक बार हज करना। पूरी दुनिया के मुस्लिम एक साथ रमजान के महीने में रोजा रखते हैं। कुरान में कहा गया है कि "ए लोगों जो ईमान लाए हो तुम पर रमजान के रोजे अनिवार्य किए गए हैं जिस तरह तुम से पहले वाले लोगों पर अनिवार्य किए गए थे, ताकि तुम्हारे अंदर ईशपरायणता पैदा हो सके।"

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    ईश्वरीय आदेश के अनुसार खाना पीना बंद कर देना, दिन भर भूखा प्यासा रहना और समय होते ही रोजा इफ्तार करना। रोजे की हालत में जिन चीजों से रोका गया है उनसे दूर रहना और ऐसा एक महीने तक लगातार करना, यह पूरी प्रकिया और चारों ओर नेकी और भलाई का वातावरण व्यक्ति में एक मजबूत अनुशासन और ईश्वर का आदेश मानने का चरित्र पैदा करता है। रोजा सिर्फ भूखे और प्यासे रहने का नाम नहीं बल्कि रोजेदार के लिए हर तरह की बुराइयों से दूर रहना अनिवार्य है।