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    Ramadan 2025: गरीब, मजबूर और भूखों के दर्द को समझने का महीना है रमजान

    Updated: Fri, 21 Mar 2025 01:14 PM (IST)

    इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक रमजान (Ramadan 2025) में रोजा रखना हर मुसलमान का फर्ज माना गया है। इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोग अपना ज्यादा-से-ज्यादा समय अल्लाह की इबादत करने और नेक काम करने में बिताते हैं। इसी के साथ यह महीना व्यक्ति के शरीर को शुद्ध करने के साथ-साथ आत्मा के शुद्धिकरण का भी काम करता है।

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    Ramadan 2025 क्या सीखाता है रमजान का महीना।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भारत में रमजान की शुरुआत  02 मार्च 2025 से हुई थी। इस्लाम धर्म में इस महीने को बहुत ही पाक माना गया है, जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, 11 महीने बाद आता है। यह महीना केवल रोजा रखने के लिए ही खास नहीं है, बल्कि इससे व्यक्ति को कई तरह की सीख भी मिलती है। तो चलिए इस मौके पर जानते हैं मौलाना इरफान मियां फरंगी महली (काजी-ए-शहर) के विचार।

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    हासिल होती है अल्लाह की दुआ

    रमजान माह में दुनियाभर के करोड़ों मुसलमान दिनभर भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं। उपवास (रोजा) रखकर इंसान भूखे-प्यासे लोगों के दर्द को समझता है। उनके दुख को समझने का महीना रमजान है। इस महीने की इबादत से किसी अन्य महीने से कई गुना अल्लाह की दुआ हासिल होती है। हर मुसलमान इस महीने का एहतराम करता है।

    क्या है रमजान का मकसद

    रमजान का मकसद यह है कि जब एक दौलतमंद, एक अमीर व्यक्ति जिसने कभी भूख और प्यास देखी नहीं, जब वह रमजान में रोजे रखेगा तो उसे एहसास ए-भूख और प्यास होगा। जब उसे भूख और प्यास का एहसास होगा तो वह गरीब, मजबूर और भूखों के दर्द को समझेगा। इसलिए इस्लाम ने रमजान में रोजे रखने के बाद फितरा देने का हुक्म दिया। गरीब दौलत वाले के घर उसे लेने नहीं जाता है।

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    क्यों रखा जाता है रोजा

    रोजे रखने के बाद फितरा देने का हुक्म इसलिए दिया गया है कि दौलत वालों को गरीब का दरवाजा दिखाया जा सके, जिससे वह उसकी मदद करता रहे, यही रमजान और इस्लाम का संदेश है। 11 महीने बाद रमजान का एक महीना आता है जिसमे ईमान वाला अपने ईश्वर को राजी करने व उसके कहे पर अमल करने के लिए रोजा रखता है।

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    कब मनाई जाएगी ईद

    ईद का पर्व इस बात पर निर्भर करता है कि अर्धचंद्र कब नजर आएगा। ऐसे में साल 2025 में ईद-उल-फितर 31 मार्च या 1 अप्रैल को मनाएं जाने की संभावना है। ईद-उल-फितर के दिन ही रमजान का उपवास यानी रोजा खत्म होता है, यानी जिस दिन उपवास तोड़ा जाता है। इस दिन को बड़े ही खासतौर से मनाया जाता है और लोग एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद देते हैं।