Ramadan 2019: रोजा रखने वाली महिलाएं और बुजुर्ग बदलते रूटीन में इस बात का रखें ख्याल
Ramadan 2019 रमजान की शुरुआत हो चुकी है और बुधवार को दूसरा रोजा रखा गया है। महिलाएं और बुजुर्ग बदलते रूटीन में कुछ बातों का ख्याल जरूर रखें।
नई दिल्ली, जेएनएन। इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना रमजान मंगलवार से शुरू हो चुका है। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मंगलवार को पहला रोजा रखा और आज यानी बुधवार को दूसरा रोजा रखा गया है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस्लाम धर्म में हर किसी को रोजा रखना फर्ज है। हालांकि, बीमार, बच्चे और गर्भवर्ती महिलाओं को इसमें रियायत है। चिकित्सकों के अनुसार रमजान में रोजा रखने वालों के लिए खानपान और अपनी दिनचर्या का विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है।
लाम में हर किसी को रोजा रखना फर्ज है। हालांकि, बीमार, बच्चे और गर्भवर्ती महिलाओं को इसमें रियायत है। चिकित्सकों के अनुसार रमजान में रोजा रखने वालों के लिए खानपान और अपनी दिनचर्या का विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है।
सहरी और इफ्तार के वक्त ध्यान दें
डायबिटीज से पीडि़त लोग इसे नियंत्रित करने के लिए दवाएं या इंसुलिन लेते हैं वह रोजा रखने से पूर्व डॉक्टर की सलाह अवश्य लें क्योंकि रोजे के दौरान दवाओं की खुराक एवं समय में परिवर्तन करना पड़ सकता है। यह जरूरी है कि आप दवाएं बंद न करें। इस दौरान दवा की बड़ी खुराक इफ्तार (सूर्यास्त भोजन) पर लें क्योंकि यह दिन का प्रमुख भोजन कहलाता है, सहरी (सुबह के भोजन) में दवा की खुराक कम करना ज्यादा लाभदायक है।
डॉक्टर की सलाह पर ही लें दवाएं
जो व्यक्ति डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए मेटफोर्मिन या ग्लिप्टिन (सीटाग्लिप्टिन, विल्डाग्लिप्टिन, लीनाग्लिप्टिन, टेनलीग्लिप्टिन) ग्रुप की दवाएं लेते हैं, वे सुरक्षित तौर पर रोजे रख सकते हैं क्योंकि इन दवाओं से हाइपोग्लाइसीमिया होने का खतरा कम होता है, सल्फोनिलयूरिया (ग्लीमीपराइड,ग्लाइक्लाजाइड) ग्रुप की दवाएं लेने वाले व्यक्तियों में रक्त शर्करा सामान्य से नीचे जा सकती है। इसलिए इस दवा की खुराक और समय में परिवर्तन के लिए डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
डायबिटिक पेशेंट भी होशियार रहें
डायबिटीज के अलावा हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त व्यक्ति (जो डाइयुरेटिक जैसी दवा ले रहे हों) रोजे से पूर्व इसकी खुराक में परिवर्तन जरूर करवाएं, क्योंकि गर्मी और पानी न पीने की वजह से इस दौरान डीहाइड्रेशन होने की आंशका बढ़ जाती है।
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कम खाएं पर अच्छा खाएं
सहरी और इफ्तार के समय आवश्यकता से अधिक न खाएं। अक्सर ऐसा देखा गया है कि गर्मी और थकान भरे दिनों के बाद इफ्तार के समय लोग अधिक कैलोरी वाला चिकनाई और कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेते हैं। जैसे तले हुए कबाब, मीट, कचौड़ी, शर्बत, कोल्ड ड्रिंक आदि जिसे खाने से रक्त शर्करा काफी बढ़ जाती है।
तरल पदार्थ स्वस्थ रखेंगे
रोजेदारों को पूरा दिन भूखा रहना पड़ता है ऐसे में उनके शरीर से पानी कम हो जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक इस स्थिति में उन्हें डिहाइड्रेशन की समस्या से जूझने से बचने के लिए उन्हें अधिक मात्रा में तरल पदार्थ लेना जरूरी होता है। तरल पदार्थ में रोजेदार छाछ, नारियल पानी, नींबू पानी, शिकंजी, आम का पना अधिक मात्रा में ले सकते हैं।
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