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    Rakshabandhan 2020: जब इंद्राणी शचि ने देवराज इंद्र को बांधा था रक्षासूत्र, पढ़ें यह पौराणिक कथा

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 31 Jul 2020 08:30 AM (IST)

    Rakshabandhan 2020 अगर पुराणों को देखा जाए तो आपको यह भी पता चलेगा कि केवल बहन ही भाई को नहीं बल्कि एक पत्नी भी अपने पति को रक्षासूत्र बांधती है।

    Rakshabandhan 2020: जब इंद्राणी शचि ने देवराज इंद्र को बांधा था रक्षासूत्र, पढ़ें यह पौराणिक कथा

    Rakshabandhan 2020: भाई-बहन के प्यार का पावन त्यौहार है राखी... यह त्यौहार हर वर्ष सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 3 अगस्त को पड़ रही है। जैसा कि हम सभी को पता है कि बहन अपने भाई को इस पर्व पर राखी यानी रक्षा सूत्र बांधती है और उसकी लंबी और समृद्धि की कामना भी करती है। लेकिन अगर पुराणों को देखा जाए तो आपको यह भी पता चलेगा कि केवल बहन ही भाई को नहीं, बल्कि एक पत्नी भी अपने पति को रक्षासूत्र बांधती है। यह पति-पत्नी के संबंध का भी पर्व है। इसी संबंध में भविष्यपुराण में कथा का वर्णन किया गया है। तो चलिए सुनते हैं इस कथा को।

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    भविष्यपुराण के अनुसार, सतयुग में वृत्रासुर नाम का एक असुर था। इस असुर ने देवताओं को पराजित कर दिया था और स्वर्ग पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। इस असुर को वरदान था कि उस पर उस समय तक बने हुए किसी भी अस्त्र-शस्त्र का असर नहीं होगा। यही कारण था कि इंद्र उस असुर से बार-बार युद्ध में हार जाते थे। महर्षि दधिचि ने देवताओं को जीत दिलाने के लिए अपना शरीर त्याग कर दिया। इनकी हड्डियों से अस्त्र-शस्त्र बनाए गए। वहीं, महर्षि दधिचि की ही हड्डियों से इंद्र का अस्त्र वज्र भी बनाया गया।

    इस अस्त्र को लेकर देवराज इंद्र युद्ध भूमि में जाने लगे। युद्ध में जाने से पहले वो अपने गुरु बृहस्पति के पहुंचे वहां उन्होंने कहा कि वो वृत्रासुर से आखिरी युद्ध करने जा रहे हैं। अगर वो विजय नहीं हो पाए तो वीरगति को प्राप्त होकर ही वापस आएंगे। ये सब सुनकर इंद्र की पत्नी शचि बेहद परेशान हो गई हैं। इस चिंता में ही उन्होंने रक्षासूत्र बनाया जो उनके तपोबल से अभिमंत्रित था और उसे देवराज इंद्र की कलाई में बांध दिया।इंद्राणी शचि ने जिस दिन इंद्र की कलाई में रक्षासूत्र बांधा था उस दिन श्रावण महीने की पूर्णिमा तिथि थी। इसके बाद देवराज इंद्र ने वृत्रासुर का वध कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया।

    इस पौराणिक कथा के अनुसार, एक पत्नी अपने सुहाग की रक्षा के लिए श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के दिन अपने पति की कलाई में रक्षासूत्र बांध सकती है। वहीं, देखा जाए तो हिंदू समाज में पुरोहित भी रक्षासूत्र बांधते हैं।  

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