Move to Jagran APP

Rakshabandhan 2020: रानी कर्णवती ने हुमायूं को भेजी थी राखी,पढ़ें कैसे निभाया था हुमायूं ने अपना कर्तव्य

Rakshabandhan 2020 कई लोकगीतों में भी इस बात को बताया जाता है कि रानी कर्णवती की राखी पाकर ही हुमायूं अपनी मुंहबोली बहन की रक्षा करने के लिए निकल पड़े थे।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 08:30 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 10:15 AM (IST)
Rakshabandhan 2020: रानी कर्णवती ने हुमायूं को भेजी थी राखी,पढ़ें कैसे निभाया था हुमायूं ने अपना कर्तव्य
Rakshabandhan 2020: रानी कर्णवती ने हुमायूं को भेजी थी राखी,पढ़ें कैसे निभाया था हुमायूं ने अपना कर्तव्य

Rakshabandhan 2020: रक्षाबंधन हिंदूओं के एक बड़े त्यौहार में से एक है। यह भाई-बहन के अटूट रिश्‍ते का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। साथ ही भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देते हैं। इस पर्व को लेकर एक पौरणिक कथा भी प्रचलित है। यह कथा है रानी कर्णवती और हुमायूं की। कई लोकगीतों में भी इस बात को बताया जाता है कि रानी कर्णवती की राखी पाकर ही हुमायूं अपनी मुंहबोली बहन की रक्षा करने के लिए निकल पड़े थे। तो चलिए पढ़ते हैं रक्षाबंधन की यह पौराणिक कथा।

loksabha election banner

चितौड़ पर बहादुर शाह ने हमला कर दिया था। अपने राज्य को बचाने के लिए राणा सांगा की विधवा रानी कर्णवती के पास इतनी भी सैन्य शक्ती नहीं थी वो अपने लोगों और राज्य की रक्षा कर पाएं। ऐसे में उन्होंने अपने मुहंबोले भाई हुमायूं को राखी भेजी। उन्होंने हुमायूं से मदद की प्रार्थना की। देखा जाए तो राखी तो हिंदुओं का त्यौहार है लेकिन हुमायूं मुस्लिम था। धर्म अलग होने के बाद भी उसकी राखी की लाज रखी और फैसला किया कि वो उसकी मदद के लिए जरूर जाएगा।

चितौड़ की रक्षा करने के लिए एक विशाल सेना लेकर हुमायूं चित्तौड़ की ओर चल दिया। हाथी-घोड़ों की सवारी के साथ चितौड़ तक पहुंचने में उन्हें काफी समय लगा। लेकिन जब तक हुमायूं चित्तौड़ पहुंचा तब तक रानी कर्णवती ने चित्तौड़ की वीरांगनाओं के साथ जौहर कर लिया था। वो सभी अग्नि में समा गई थीं। उनके जौहर के बाद बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर कब्जा कर लिया। यह खबर सुनकर हुमायूं को बहुत दुख हुआ और उसने चितौड़ पर हमला कर दिया। इस युद्ध में हुमायूं को विजय मिली। इसके बाद हुमायूं ने पूरा शासन रानी कर्णवती के बेटे विक्रमजीत सिंह को सौंप दिया। इसी के बाद से रानी कर्णवती और हुमायूं भाई-बहन का रिश्ता इतिहास के पन्नों में अमर है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.