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    Raksha Sutra ka Mahatva: क्या है कलाई पर रक्षासूत्र बांधने का महत्व? जानिए अध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Tue, 29 Aug 2023 06:32 PM (IST)

    Raksha Bandhan 2023 भारतीय संस्कृति में कई ऐसी परंपराएं हैं जिनका पालन प्राचीन काल से किया जा रहा है। इन्हीं में से एक है कलाई पर रक्षासूत्र बांधने की परंपरा। बता दें की पूजा के समय कलाई पर रक्षासूत्र बांधने के पीछे न केवल आध्यात्मिक बल्कि वैज्ञानिक कारण भी छिपा हुआ है। वहीं शास्त्रों में इससे जुड़े कुछ नियम भी बताए गए हैं।

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    Rakshasutra ka Mahatva जानिए क्या है हिन्दू धर्म में रक्षासूत्र का महत्व?

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Rakshasutra ka Mahatva, Raksha Bandhan 2023: सनातन धर्म में पूजा-पाठ के दौरान कई परंपराओं को निभाया जाता है। इनमें से एक है कलाई पर रक्षासूत्र या कलावा बांधने की परंपरा। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रक्षासूत्र में कई ऐसी शक्तियां होती हैं, जिनसे व्यक्ति विभिन्न प्रकार के रोग, दोष और समस्याओं से दूर रहता है। कलावा बांधने के पीछे न केवल आध्यात्मिक बल्कि वैज्ञानिक कारण भी छिपा हुआ है। कई जगहों पर रक्षासूत्र को मौली के नाम से भी जाना जाता है। आज हम जानेंगे कि क्या है रक्षासूत्र बांधने का महत्व और इसके पीछे छिपा वैज्ञानिक कारण?

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    रक्षासूत्र बांधने का आध्यात्मिक महत्व

    शास्त्रों में यह विदित है कि पूजा-पाठ के दौरान हाथ में कलवा या रक्षासूत्र बांधने से तीनों देव आर्थत 'त्रिदेव' और तीनों महादेवियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। त्रिदेव हैं- ब्रह्मा विष्णु और महेश, वहीं महादेवियां हैं- महालक्ष्मी, माता सरस्वती और मां काली। मान्यता है कि पूजा के दौरान कलावा बांधने से मनुष्य को बल, बुद्धि, विद्या और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है। कलाई पर रक्षासूत्र बांधने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। किंवदन्तियों के अनुसार, जब दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान विष्णु वामन रूप धारण करके आए थे। तब भगवान ने राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था। इसलिए वर्तमान समय में भी कलाई पर रक्षासूत्र बांधते समय इस कथा को श्लोक के माध्यम से दोहराया जाता है यह श्लोक है-

    येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

    तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

    रक्षासूत्र का आयुर्वेदिक महत्व

    विज्ञान की दृष्टि से यदि देखा जाए तो रक्षासूत्र बांधने से शरीर को कई प्रकार के रोग से छुटकारा मिल जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आयुर्वेद शास्त्र में यह बताया गया है कि शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती है। ऐसे में इस स्थान पर रक्षासूत्र बांधने से त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ से संबंधित समस्या दूर रहती है और व्यक्ति रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह इत्यादि जैसे गंभीर बीमारियों से काफी हद तक दूर रहता है।

    रक्षासूत्र बांधने का नियम

    शास्त्रों में बताया गया है कि पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में रक्षासूत्र बांधना चाहिए। वहीं विवाहित स्त्रियों को बाएं हाथ में कलवा बंधवाना चाहिए। कलावा बांधते समय हाथ की एक मुट्ठी बंद रखकर दूसरा हाथ सिर पर रखना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मन शांत रहता है और आत्म बल में वृद्धि होती है। साथ ही इससे मन में नकारात्मक विचार नहीं आते हैं।

    वस्तु की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होता है रक्षासूत्र

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कलाई पर लाल या केसरी रंग का कलावा बांधने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह रंग शक्ति, शौर्य और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ कलाई पर लाल रंग का कलावा धारण करने से कुंडली में मंगल प्रबल स्थिति में आता है। जिससे व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं कुछ लोग कलाई पर काला धागा भी धारण करते हैं, जिसे शनि ग्रह का प्रतीक माना जाता है। इस रंग का कलवा पहनने से जातक की कुंडली में न्याय देवता शनि प्रबल अवस्था में आते हैं।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।