Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Rahu-Ketu Pujan: राहु-केतु की पूजा से दूर होगी जीवन की हर बाधा, करें इस कवच का पाठ

    Updated: Sat, 20 Jul 2024 08:50 AM (IST)

    राहु-केतु को अशुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। शनिवार के दिन इनकी पूजा शुभ मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जिनकी कुंडली में ये ग्रह मजबूत होते हैं उन्हें कभी किसी चीज के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता है। साथ ही उनके सभी बिगड़े काम धीरे-धीरे बनने लग जाते हैं। वहीं इनके कवच का पाठ भी परम मंगलकारी माना गया है।

    Hero Image
    Rahu-Ketu Pujan: राहु-केतु कवच का पाठ -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rahu-Ketu Pujan: ज्‍योतिष शास्‍त्र में राहु-केतु क्रूर ग्रह माने गए हैं। कहते हैं यदि कुंडली में इनकी स्थिति खराब हो जाए, तो जीवन की मुश्किलें दिन-प्रतिदिन बढ़ जाती हैं। यही कारण है कि ज्योतिष इन्हें सदैव मजबूत रखने की सलाह देते हैं। कहा जाता है कि इनकी पूजा से जीवन के सभी कष्टों को समाप्त किया जा सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अगर आप अपने जीवन में चल रही उथल-पुथल को दूर करना चाहते हैं, तो शनिवार के उपवास के साथ शनिवार के दिन राहु-केतु की पूजा और उनके ''कवच का पाठ'' अवश्य करें। ऐसा करने से आपको सभी कार्य में सफलता प्राप्त होगी।

    ॥राहु ग्रह कवच॥

    अस्य श्रीराहुकवचस्तोत्रमंत्रस्य चंद्रमा ऋषिः ।

    अनुष्टुप छन्दः । रां बीजं । नमः शक्तिः ।

    स्वाहा कीलकम् । राहुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥

    प्रणमामि सदा राहुं शूर्पाकारं किरीटिन् ॥

    सैन्हिकेयं करालास्यं लोकानाम भयप्रदम् ॥

    निलांबरः शिरः पातु ललाटं लोकवन्दितः ।

    चक्षुषी पातु मे राहुः श्रोत्रे त्वर्धशरीरवान् ॥

    नासिकां मे धूम्रवर्णः शूलपाणिर्मुखं मम ।

    जिव्हां मे सिंहिकासूनुः कंठं मे कठिनांघ्रीकः ॥

    भुजङ्गेशो भुजौ पातु निलमाल्याम्बरः करौ ।

    पातु वक्षःस्थलं मंत्री पातु कुक्षिं विधुंतुदः ॥

    कटिं मे विकटः पातु ऊरु मे सुरपूजितः ।

    स्वर्भानुर्जानुनी पातु जंघे मे पातु जाड्यहा ॥

    गुल्फ़ौ ग्रहपतिः पातु पादौ मे भीषणाकृतिः ।

    सर्वाणि अंगानि मे पातु निलश्चंदनभूषण: ॥

    राहोरिदं कवचमृद्धिदवस्तुदं यो ।

    भक्ता पठत्यनुदिनं नियतः शुचिः सन् ।

    प्राप्नोति कीर्तिमतुलां श्रियमृद्धिमायु

    रारोग्यमात्मविजयं च हि तत्प्रसादात् ॥

    ॥केतु ग्रह कवच॥

    अस्य श्रीकेतुकवचस्तोत्रमंत्रस्य त्र्यंबक ऋषिः ।

    अनुष्टप् छन्दः । केतुर्देवता । कं बीजं । नमः शक्तिः ।

    केतुरिति कीलकम् केतुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥

    केतु करालवदनं चित्रवर्णं किरीटिनम् ।

    प्रणमामि सदा केतुं ध्वजाकारं ग्रहेश्वरम् ॥

    चित्रवर्णः शिरः पातु भालं धूम्रसमद्युतिः ।

    पातु नेत्रे पिंगलाक्षः श्रुती मे रक्तलोचनः ॥

    घ्राणं पातु सुवर्णाभश्चिबुकं सिंहिकासुतः ।

    पातु कंठं च मे केतुः स्कंधौ पातु ग्रहाधिपः ॥

    हस्तौ पातु श्रेष्ठः कुक्षिं पातु महाग्रहः ।

    सिंहासनः कटिं पातु मध्यं पातु महासुरः ॥

    ऊरुं पातु महाशीर्षो जानुनी मेSतिकोपनः ।

    पातु पादौ च मे क्रूरः सर्वाङ्गं नरपिंगलः ॥

    य इदं कवचं दिव्यं सर्वरोगविनाशनम् ।

    सर्वशत्रुविनाशं च धारणाद्विजयि भवेत् ॥

    यह भी पढ़ें: Shani Dev: शनिवार के दिन करें ये काम, प्रसन्न होंगे शनि देव

    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।