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    Radhashtami 2021: जन्माष्टमी के बाद आ रही है राधाष्टमी, जानें तिथि, मुहूर्त एवं पूजन विधि

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Tue, 07 Sep 2021 09:05 AM (IST)

    Radhashtami 2021 राधाष्टमी पर राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन पूरे ब्रजधाम और खासतौर पर बरसानें में विशेष धूम रहती है। इस साल राधाष्टमी 14 सितंबर को पड़ रही है आइए जानते हैं इसके पूजन का मुहूर्त और विधि के बारे में....

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    जानिए, राधाष्टमी त्योहार की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि

    Radhashtami 2021: हिंदू धर्म में राधा और श्याम का नाम का एक साथ लेने की परंपरा है। क्योंकि माना जाता है कि बिना राधा श्याम अधूरे हैं। शायद इसी कारण ये पौराणिक संयोग बना है कि जहां भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है तो वहीं शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधाष्टमी। राधाष्टमी पर राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन पूरे ब्रजधाम और खासतौर पर बरसानें में विशेष धूम रहती है। मान्यता है कि राधाष्टमी पर राधा जी का पूजन किए बिना कृष्ण जन्माष्टमी का पूजन अधूरा रहता है। इस साल राधाष्टमी 14 सितंबर को पड़ रही है, आइए जानते हैं इसके पूजन का मुहूर्त और विधि के बारे में....

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    राधाष्टमी की तिथि और मुहूर्त

    भाद्रपद मास पूरी तरह से भगवान कृष्ण और राधा के पूजन को समर्पित है। इस माह में कृष्ण जन्माष्टमी के पंद्रह दिन बाद राधाष्टमी मनाई जाती है। जो कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल अष्टमी तिथि 13 सितंबर को दिन में 03.11 बजे से 14 सितंबर को 01.09 बजे तक रहेगी। उदया तिथि होने के कारण राधाष्टमी का पर्व 14 सितंबर,दिन मंगलावार को मनाया जाएगा। इस दिन राधा जी का व्रत और पूजन करने से सुख, सौभाग्य और संतान प्राप्ति होती है तथा मोक्ष का भी द्वार खुल जाता है।

    राधाष्टमी की पूजन विधि

    राधाष्टमी के दिन भगवान कृष्ण और राधा की संयुक्त रूप से पूजा की जाती है। इस दिन प्रातः काल में स्नान आदि से निवृत्त हो कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद एक स्वच्छ आसन पर राधा-कृष्ण के संयुक्त चित्र या मूर्ति को को स्थापित करें। सबसे पहले राधा-कृष्ण की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद भगवान को धूप,दीप,रोली,फल,फूल,माला,नैवेद्य आदि अर्पित करें। राधा-कृष्ण की स्तुति उनके मंत्रो और भजनों को गा कर करें। इस दिन श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र का पाठ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। व्रत का पारण अगले दिन सुहागिन महिला या ब्राह्मणों को भोजन और दान दे कर करना चाहिए।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'