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    Radha Ashtami पर जरूर पढ़ें राधा रानी के अवतरण की कथा, मिलेगा व्रत का पूर्ण फल

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 09:12 AM (IST)

    भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि (Radha Ashtami 2025) पर राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह व्रत आज यानी 31 अगस्त को मनाया जा रहा है। राधा जी के जन्म से संबंधि कई कथाएं प्रचलित हैं। ऐसे में चलिए राधा अष्टमी के इस पावन अवसर पर जानते हैं राधा जी के अवतरण की कथा।

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    Shri Radha Rani ki Janm katha in hindi

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हम सभी राधा रानी को भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका के रूप में जानते हैं। राधा अष्टमी के दिन राधा जी की पूजा मध्याह्न काल में की जाती है। इस दिन पर कई साधक व्रत भी करते हैं। ऐसे में अगर आप भी राधा अष्टमी (Radha Ashtami 2025 Katha) का व्रत कर रहे हैं, तो उनकी अवतरण कथा जरूर पढ़ें, ताकि आपको व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।

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    पढ़ें पौराणिक कथा

    राधा रानी के अवतरण की एक प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार वृषभानु जी एक बार सरोवर पर गए, तब उन्हें वहां एक सुनहरे कमल पर एक दिव्य कन्या लेटी हुए दिखाई दी। वह उस कन्या को अपने घर ले आए और उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया। लेकिन जन्म के कई समय तक उस कन्या ने अपनी आंखें नहीं खोलीं।

    असल में वह कान्हा जी के जन्म की प्रतीक्षा में थीं और सबसे पहले श्रीकृष्ण को देखना चाहती थीं। जब बाल रूप में राधा जी की भेंट कान्हा जी से हुई, तब उन्होंने अपनी आंखें खोल दी। यह देखकर वृषभानु व उनकी पत्नी कीर्तिदा (या कीर्ति) बहुत ही प्रसन्न हुए।

    राधा जी के जन्म से जुड़ी अन्य कथा

    एक अन्य कथा के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप धारण किया, जिस पर सभी देवता मोहित हो गए। लेकिन सूर्य देव ने मोहिनी रूप को अपनी पुत्री के रूप में पाने की इच्छा जताई। तब विष्णु जी ने उन्हें यह वरदान दिया कि वह आह्लादिनी शक्ति अर्थात राधा के रूप में सूर्य देव की पुत्री बनकर जन्म लेंगे।

    वरदान के अनुसार, कालांतर में जब सूर्यदेव ने बृज भूमि में वृषभानु महाराज के रूप में जन्म लिया और उनके यहां पुत्री के रूप में राधा जी का जन्म हुआ।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।