Pushya Nakshatra: शांत हृदय और सर्वप्रिय होते हैं पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातक, जानें कैसा होता है स्वभाव
Pushya Nakshatra हम आपको इससे पहले कुछ नक्षत्रों के जातकों के स्वभाव के बारे में बता चुके हैं और आज हम आपको पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों के बारे में बताने जा रहे हैं।
Pushya Nakshatra: हर व्यक्ति का जन्म किसी न किसी नक्षत्र में होता है। हम आपको इससे पहले कुछ नक्षत्रों के जातकों के स्वभाव के बारे में बता चुके हैं और आज हम आपको पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों के बारे में बताने जा रहे हैं। ज्योतिषाचार्य पं. दयानंद शास्त्री के अनुसार, अगर व्यक्ति का जन्म पुष्य नक्षत्र में हुआ है तो उनमें नित नए काम करने की प्रवृत्ति बनी रहेगी। नए काम की खोज और बदलाव हर बार आपसे ज्यादा मेहनत कराएगा। हालांकि, सफलता फिर भी आसानी से नहीं होगी। फल पाने में अक्सर देरी का सामना करना पड़ेगा। लेकिन आपको निराश होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि आपकि बुद्धि बहुत तेज है। साथ ही आप आगे बढ़ने का रास्ता भी खोज लेते हैं।
सच्चे प्रेमी होते हैं पुष्य नक्षत्र के जातक:
इस नक्षत्र में पैदा हुए जातक सच्चे प्रेमी होते हैं। ये किसी भी संबंध को बीच में नहीं छोड़ते हैं। ये पूरे तन मन धन से प्रेम करते हैं। इसी तरह दोस्ती भी ये निभाते हैं। मित्रों की सहायता करने से भी ये पीछे नहीं हटते हैं। ये स्वभाव से चंचल होते हैं। ये जलप्रिय होते हैं। इन्हें तैरना बहुत पसंद है। कल्पनाशील होने के कारण ये एक अच्छे लेखक, सुन्दर कवी, महान दार्शनिक एवं उच्च कोटि के साहित्यकार एवं भविष्यवक्ता भी हो सकते हैं। ये मन के शांत होते हैं। साथ ही धार्मिक स्वभाव के होते हैं। ये जातक अपने क्षेत्र के पंडित एवं विद्वान् होने के साथ-साथ भाग्यशाली और धनि भी होते हैं।
पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातक शांत हृदय, सर्वप्रिय, विद्वान, पंडित, प्रसन्नचित्त, माता-पिता का भक्त, ब्राह्मणों और देवताओं का आदर और पूजा करने वाला, धर्म को मानने वाला, बुद्धिमान, राजा का प्रिय, पुत्रयुक्त, धन वाहन से युक्त, सम्मानित और सुखी होते हैं। इन जातकों का कद लंबा होता है। साथ ही इनका श्याम वर्ण होता है। ये चिंतनशील, सावधान, तत्पर, आत्मकेंद्रित, क्रमबद्ध और नियमबद्ध, अल्पव्ययी, रुढ़िवादी, सहिष्णु, बुद्धिमान तथा समझदार होते हैं। ऐसे जातक व्यावहारिक, स्पष्टवादी, शीघ्रता से बोलने वाला, आलोचक, विश्वासपूर्ण पद प्राप्त करने वाला, अधिकारी मंत्री, राजा, तकनीकी मस्तिष्क का, अपने कार्य में निपुण तथा सबके द्वारा प्रशंसित होता है।
ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों के चक्र में पुष्य आठवां नक्षत्र होता है। इसे नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। इस नक्षत्र के देवता बृहस्पति और स्वामी शनि हैं। जितने नक्षत्र हैं उन सभी में इस नक्षत्र को सबसे ज्यादा शुभ माना गया है। इसमें किया गया कोई भी कार्य पुण्यदायी और तुरंत फल देने वाला होता है। पुष्य नक्षत्र में उत्पन्न जातक की जन्म राशि कर्क तथा राशि स्वामी चंद्रमा, वर्ण ब्राह्मण, वश्य जलचर, योनि मेढ़ा, महावैर यानि वानर, गण देव तथा नाड़ी मध्य है। पुष्य नक्षत्र में जन्मी महिलाएं भी बहुत धार्मिक विचारों वाली होती हैं। ये हर तरह के कामों में रूचि दिखाते हैं। ये महिलाएं विशाल ह्रदय वाली तथा दयाभाव रखने वाली होती हैं।
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