Ashadha Gupt Navratri 2024: दशकों बाद पुनर्वसु नक्षत्र में होगी कलश स्थापना, प्राप्त होगा मां का आशीर्वाद
धार्मिक मत है कि गुप्त नवरात्र के दौरान जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं (Ashadha Gupt Navratri Importance) पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से आने वाली बलाएं भी टल जाती हैं। गुप्त नवरात्र में साधक मां दुर्गा के निमित्त व्रत-उपवास रखते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ashadha Gupt Navratri 2024: आषाढ़ गुप्त नवरात्र जगत जननी मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्र 6 जुलाई से लेकर 15 जुलाई तक है। गुप्त नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के दस महाविद्याओं की देवियों की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो गुप्त नवरात्र के प्रथम दिवस पर दुर्लभ पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस योग में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाएंगे। आइए, शुभ मुहूर्त, योग एवं नक्षत्र के बारे में जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें तो 06 जुलाई को प्रातः काल 04 बजकर 26 मिनट से आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी। वहीं, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 07 जुलाई को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी।
पुनर्वसु नक्षत्र
आषाढ़ गुप्त नवरात्र के प्रथम दिन यानी कलश स्थापना पर दुर्लभ पुनर्वसु नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 04 बजकर 47 मिनट से हो रहा है, जो 07 जुलाई को सुबह 04 बजकर 48 मिनट तक है। ज्योतिष पुनर्वसु नक्षत्र को बेहद शुभकारी और मंगलकारी मानते हैं। इस नक्षत्र में ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। अत: इस नक्षत्र में मां दुर्गा की कलश स्थापना करना मंगलदायी होगा।
कलश स्थापना
आषाढ़ गुप्त नवरात्र के प्रथम दिवस पर कलश स्थापना का शुभ समय सुबह 05 बजकर 29 मिनट से लेकर 10 बजकर 07 मिनट तक है। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना का समय दोपहर 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक है। इन 2 शुभ योग में गुप्त नवरात्र के प्रथम दिवस पर कलश स्थापना कर सकते हैं।
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 29 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 23 मिनट पर
चंद्रास्त- शाम 08 बजकर 06 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 08 मिनट से 04 बजकर 49 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 42 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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