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    Puja Path Tips: किस समय करनी चाहिए पूजा, ताकि जल्द स्वीकार हो आपकी प्रार्थना

    Updated: Mon, 10 Mar 2025 12:28 PM (IST)

    ईश्वर को याद करने का हर धर्म का अपना एक तरीका होता है। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के जरिए भगवान को याद किया जाता है या उनका आभार व्यक्त किया जाता है। हिंदू शास्त्रों में पूजा-पाठ का एक उचित समय बताया गया है जिसपर पूजा-अर्चना करने से आपको अधिकतम फल प्राप्त हो सकता है। चलिए जानते हैं कि वह समय कौन-सा है?

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    Puja Path Tips किस समय पूजा करना होता है शुभ (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर व्यक्ति अपनी श्रद्धा के अनुसार और अपने तौर-तरीकों से ईश्वर की आराधना करता है। इसी के साथ पूजा-अर्चना को भी ईश्वर तक अपनी प्रार्थना पहुंचाने का एक अच्छा माध्यम माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि रोजाना भक्तिभाव के साथ पूजा-पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है।

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    यह समय है सबसे अच्छा

    शास्त्रों में सूर्योदय के समय को पूजा-पाठ के लिए सबसे उत्तम माना गया है। यह वह समय होता है, जब व्यक्ति का शरीर और मन दोनों ही अपने शुद्धतम स्तर पर होते हैं। ऐसे में व्यक्ति अधिक ध्यान लगा सकता है और उसकी आधात्मिक ऊर्जा भी अधिक होती है। यही कारण है कि इस समय आपको भगवान का ध्यान और पूजा करने से अधिक लाभ मिल सकता है और आपकी प्रार्थना जल्दी स्वीकार होती है।

    (Picture Credit: Freepik)

    यह समय भी है खास

    सूर्योदय के साथ साथ संध्याकाल यानी शाम का समय, जिसे गोधूलि बेला भी कहा जाता है, उसे भी भगवान की पूजा-अर्चना के लिए काफी खास माना गया है। वेदों के अनुसार इस समय को बहुत ही पवित्र माना गया है, क्योंकि यह समय दिन और रात की संधि का समय है। ऐसे में अगर आप इस समय पर भगवान का ध्यान या पूजा-अर्चना करते हैं, तो इससे भी आपको काफी लाभ देखने को मिल सकता है।

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    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    कब नहीं करनी चाहिए पूजा

    शास्त्रों में यह भी वर्णित है के किस समय पूजा करने से आपको इसका कोई लाभ नहीं मिलता। कभी भी दोपहर के समय भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस समय अभिजीत मुहूर्त होता है, जिसे पितरों का समय माना जाता है। ऐसे में इस समय अगर आप पूजा-पाठ करते हैं, तो आपको उसका पूर्ण फल नहीं मिलता। इसी के साथ दोपहर का समय भगवान के विश्राम का समय भी माना जाता है, इसलिए भी इस समय में पूजा करना शुभ नहीं होता।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।