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    Prerak Kahani : तोते ने इंद्र देवता की बातों को ठुकराया, पेड़ का साथ न छोड़कर सिखाया मानवता का पाठ

    By Ritesh SirajEdited By:
    Updated: Wed, 21 Jul 2021 03:42 PM (IST)

    Prerak Kahani बुरे वक्त में व्यक्ति भावनात्मक रूप कमजोर हो जाता है और ऐसे वक्त में उसे किसी के साथ की जरूरत पड़ती है। इसलिए हमें सभी के सुख में साथ ख ...और पढ़ें

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    तोते ने इंद्र देवता की बातों को ठुकराया, पेड़ का साथ न छोड़कर सिखाया मानवता का पाठ

    Prerak Kahani : इंसान को अपने जीवन में सभी का सम्मान करना चाहिए। सुख-दुख में सभी के साथ खड़ा होना चाहिए। बुरे वक्त में व्यक्ति भावनात्मक रूप कमजोर हो जाता है और ऐसे वक्त में उसे किसी के साथ की जरूरत पड़ती है। इसलिए हमें सभी के सुख में साथ खड़े हो या न हो लेकिन दुख के साथी जरूर बनो। आज हम इसी पर आधारित तोता और पेड़ की कहानी का वर्णन करेंगे।  

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    एक जंगल में एक शिकारी ने शिकार पर निशाना लगाकर तीर चला दिया। शिकारी ने तीर पर सबसे खतरनाक जहर लगाया था। हालांकि शिकारी का निशाना चूक गया। वह जहरीला तीर फल-फूल के पेड़ में जा लगा। जहर के असर से पेड़ सूखने लगे। इस वजह से सभी पक्षी एक-एक करके उस पेड़ को छोड़कर चले गए। पेड़ के कोटर में एक धर्मात्मा तोता सालों से उस पेड़ में रहता था। एकमात्र उसी ने पेड़ के साथ को नहीं छोड़ा था। 

    उस पेड़ पर रहने की वजह से उस तोते को दाना-पानी नहीं मिलने की वजह से तोता सूखकर कांटा हो गया था। तोते के इस हालत की खबर इंद्र देवता को लगी। जिसे देखने के लिए वे स्वयं वहां पहुंच गए। जिन्हें देखकर धर्मात्मा तोते ने तुरंत पहचान लिया। उन्होंने तोते से कहा कि इस पेड़ के बचने की उम्मीद नहीं है। तुम जंगल में किसी और पेड़ के कोटर में चले जाओ। जहां पेड़ के समीप सरोवर भी है।

    तोते ने जवाब दिया कि देवराज मैंने यहीं जन्म लिया और यहीं पर बड़ा हुआ। इसे पेड़ के मीठे फल खाए और इसी ने मुझे दुश्मनों से भी बचाया। मैंने अपने सुख के दिन यही बिताया अब बुरे वक्त में इसे कैसे छोड़ के चला जाऊं। तोते के इस जवाब से देवराज इंद्र बहुत प्रसन्न हुए। तोते के दो टूक जवाब से इंद्र निरूत्तर हो गए उन्होंने कहा कि मैं तुमसे प्रसन्न जो वर मांगना है मांग लो।

    तोते ने बोला मेरे इस पेड़ को हरा-भरा कर दीजिए। इंद्र ने तथास्तु बोलकर उस पेड़ पर अमृत वर्षा की जिससे वह पेड़ फिर से हरा भरा हो गया। तोते ने अपने अंतिम समय तक इस पेड़ पर वास किया। मरने के बाद तोता देवलोक को चला गया।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''