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    Pradosh Vrat February 2024: फरवरी में कब है प्रदोष व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik Sharma
    Updated: Sun, 28 Jan 2024 09:28 AM (IST)

    सनातन धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है। इस बार माघ के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 फरवरी 2024 दिन बुधवार को है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन सच्चे भाव के साथ पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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    Pradosh Vrat February 2024: फरवरी में कब है प्रदोष व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat February 2024 Date: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है। इस बार माघ के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 फरवरी 2024 दिन बुधवार को है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन सच्चे भाव के साथ पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साधक इस पवित्र दिन पर व्रत रखते हैं और शिव जी की पूजा मां पार्वती के साथ करते हैं। आइए हम आपको बताएंगे प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र के बारे में।

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    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

    दैनिक पंचांग के अनुसार, माघ महीने की कृष्ण पक्ष की तिथि की शुरुआत 7 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट पर होगी और इसके अगले दिन यानी 8 फरवरी को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर तिथि का समापन होगा। प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव की पूजा सांध्यकाल में की जाती है। प्रदोष व्रत की पूजा 7 फरवरी को शाम 06 बजकर 05 मिनट से लेकर रात्रि के 08 बजकर 41 मिनट तक के बीच में की जा सकती है।

    प्रदोष व्रत पूजा विधि

    प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे और स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें। संध्याकाल में शुभ मुहूर्त में पूजा की शुरुआत करें। दही, शहद, घी और गंगाजल समेत आदि चीजों से शिवलिंग का विधिपूर्वक अभिषेक करें। इसके पश्चात भांग, कनेर के फूल और बेलपत्र आदि चीजें अर्पित करें। अब शिव चालीसा का पाठ कर आरती करें। अंत में भगवान शिव को भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

    पूजा के दौरान इन मंत्रों का करें जाप

    शिव मंत्र

    श्री सांबसदाशिवाय नम:

    श्री रुद्राय नम:

    ओम पार्वतीपतये नम:

    ओम नमो नीलकण्ठाय नम:

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    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।