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    Pradosh Vrat 2025: शुक्र प्रदोष व्रत पर इस तरह करें शिव जी की पूजा, पढ़ें शुभ मुहूर्त और विधि

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 07:10 AM (IST)

    भाद्रपद माह का दूसरा प्रदोष व्रत आज यानी 5 सितंबर को किय जा रहा है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में आप इस दिन पर शुभ मुहूर्त में शिव जी और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं। चलिए पढ़ते हैं शिव जी की पूजा का मुहूर्त और विधि।

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    Pradosh Vrat 2025 शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि और मंत्र।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat 2025) के रूप में जाना जाता है। इस दिन को करने वाले साधक पर शिव जी की विशेष कृपा बनी रहती है। ऐसे में आप इस शुभ मुहूर्त में शिव जी और मां पार्वती की पूजा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। 

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    मिलते हैं ये लाभ

    माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने वाले साधक को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही शिव जी की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं शुक्र ग्रह की दोष शांति के लिए भी इस व्रत को अत्यंत प्रभावी माना जाता है। साथ ही प्रदोष व्र करने से भक्तों की मनोकामनाओं की भी पूर्ति होती है।

    शिव जी की पूजा विधि

    प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवितृ हो जाएं। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें। एक चौकी पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर शिव जी और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद पूजा में शिव जी को बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शहद, घी और भांग आदि अर्पित करें।

    इसके साथ ही खीर, फल व हलवे आदि का भोग लगाएं। पूजा में माता पार्वती को 16 शृंगार की सामग्री अर्पित करें। पूजा के दौरान 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें। अंत में दीपक जलाकर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और सभी लोगों में पूजा का प्रसाद बांटें। इस दिन पर शिव जी की पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -

    प्रदोष व्रत पूजा का मुहूर्त - शाम 6 बजकर 38 मिनट से रात 8 बजकर 55 मिनट तक

    (Picture Credit: Freepik)

    शिव जी के मंत्र

    1. ॐ नमः शिवाय

    2. ॐ नमो भगवते रूद्राय

    3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात

    4. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्

    5. कर्पूरगौरं करुणावतारं

    संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।

    सदावसन्तं हृदयारविन्दे

    भवं भवानीसहितं नमामि ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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