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    Pradosh Vrat 2025 upay: प्रदोष व्रत पर करें ये खास उपाय, सोने की तरह चमकेगी किस्मत

    Updated: Thu, 06 Feb 2025 10:25 AM (IST)

    हर माह में त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) किया जाता है जो दो बार आता है एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। यह तिथि भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए बहुत ही उत्तम मानी गई है। साथ ही यह भी माना गया है कि जो भी पूरे विधि-विधान से प्रदोष व्रत करता है उसके जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है।

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    Ravi Pradosh Vrat रवि प्रदोष व्रत के उपाय (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इस बार रविवार, 09 फरवरी 2025 के दिन माघ माह का दूसरा प्रदोष व्रत किया जाएगा। रविवार के दिन पड़ने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat 2025) भी कहा जा सकता है। इस दिन पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस दिन पर आप किन उपायों द्वारा शिव जी को प्रसन्न कर सकते हैं।

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    प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

    माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 09 फरवरी को शाम 07 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि के समापन 10 फरवरी को शाम 06 बजकर 57 मिनट पर होने जा रहा है। इसलिए रवि प्रदोष व्रत रविवार, 09 फरवरी 2025 को किया जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा का मुहूर्त कुछ ये रहने वाला है -

    भगवान शिव पूजा का मुहूर्त - शाम 07 बजकर से मिनट से 08 बजकर 42 मिनट तक

    इस तरह करें पूजा

    प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान शिवलिंग का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से अभिषेक करें। इसके बाद साफ जल में गंगाजल मिलाकर अभिषेक करें। अब शिव जी को बेलपत्र, फल, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। पूजा के बाद शिवजी के 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र का रुद्राक्ष की माला से जप करें और अंत में शिव जी की आरती करें। इसी के साथ आप शिव तांडव स्तोत्र और शिव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।

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    पूजा में करें ये काम

    प्रदोष व्रत के दिन शिव जी की पूजा के दौरान उनका पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। साथ ही महादेव को चंदन और भस्म आदि से तिलक लगाएं। इसी के साथ शिव जी को कनेर के फूल, बेलपत्र, शमी और धतूरा आदि अर्पित करें। भोग के रूप में आप महादेव को खीर, दही या फिर सूजी के हलवा अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद घी का दीपक जलाकर शिव जी की आरती करें।

    दूर होगी नौकरी की रुकावट

    रवि प्रदोष व्रत के दिन सवा किलो साबुत चावल लेकिन, इनमें से कुछ चावल शिव मंदिर में अर्पित करें। इसके बाद बाकी बचे चावलों का गरीबों व जरूरतमंदों में दान कर दें। ऐसा करने से साधक के कार्यक्षेत्र में आ रही किसी भी प्रकार की बाधा दूर हो सकती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।