Pradosh Vrat 2025: रवि प्रदोष व्रत पर ध्यान रखें ये बातें, ताकि आपको मिले पूजा का पूरा फल
हर माह में आने वाली त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। इस तरह हर माह में दो प्रदोष व्रत आते हैं। माना जाता है कि जो भी भक्त इस दिन पर भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करता है उसकी सभी मुरादें पूरी होती हैं। साथ ही इससे साध के जीवन में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करना शुभ माना गया है। माघ का दूसरा प्रदोष व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है। ऐसे में इसे रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat 2025) भी कहा जाएगा। इस दिन पर अगर आप व्रत से संबंधित कुछ बातों का ध्यान रखते हैं, तो इससे आपको भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त हो सकती है।
रवि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 09 फरवरी को शाम 07 बजकर 25 मिनट पर शुरू होने जा रही है। वहीं इस तिथि के समापन की बात करें, तो यह तिथि 10 फरवरी को शाम 06 बजकर 57 मिनट तक रहने वाली है। इस प्रकार रवि प्रदोष व्रत रविवार, 09 फरवरी 2025 को किया जाएगा। इस दिन पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -
शिव जी की पूजा का मुहूर्त - शाम 07 बजकर से मिनट से 08 बजकर 42 मिनट तक
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इस तरह करें पूजा
प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान शिवलिंग का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से अभिषेक करें। इसके बाद साफ जल में गंगाजल मिलाकर अभिषेक करें। अब शिव जी को बेलपत्र, फल, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। पूजा के बाद शिवजी के 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र का रुद्राक्ष की माला से जप करें और अंत में शिव जी की आरती करें। इसी के साथ आप शिव तांडव स्तोत्र और शिव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।
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भूल से भी न करें ये काम
प्रदोष व्रत के दिन तामसिक चीजों के सेवन से बचना चाहिए। साथ ही इस दिन मन में किसी तरह के गलत विचार न लाएं। इसी के साथ व्रत करने वाले साधक को नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके स्थान पर केवल फल और जल का सेवन करें। साथ ही इस दिन व्रत करने वाले साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इन सभी बातों का ध्यान रखने पर ही आपका व्रत पूर्ण माना जाता है।
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