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    Pradosh Vrat 2025 Date: कब है फरवरी महीने का अंतिम प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 16 Feb 2025 07:37 PM (IST)

    हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन देवों के देव महादेव और जगत की देवी मां पार्वती की पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस साल 26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। इससे एक दिन पहले प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025 Date) है।

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    Pradosh Vrat 2025 Date: भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2025 Date: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है। यह पर्व हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और जगत की देवी मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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    शिव पुराण में वर्णित है कि प्रदोष व्रत करने से साधक पर महादेव की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक त्रयोदशी तिथि पर श्रद्धा भाव से शिव-शक्ति की पूजा करते हैं। आइए, फरवरी महीने के अंतिम प्रदोष व्रत की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 25 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर होगी और 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। 25 फरवरी को प्रदोष काल संध्याकाल 06 बजकर 18 मिनट से 08 बजकर 49 मिनट तक है। अतः 25 फरवरी को फरवरी महीने का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

    शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)

    फरवरी माह के अंतिम प्रदोष व्रत पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में त्रिपुष्कर योग और वरीयान योग शामिल है। ज्योतिषियों की मानें तो त्रिपुष्कर योग बेहद दुलर्भ होता है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलता है। इस दिन शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इसके साथ ही उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का भी योग है।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 50 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 18 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 10 मिनट से 06 बजे
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 15 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 16 मिनट से 06 बजकर 41 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।