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    Pradosh Vrat 2025: भौम प्रदोष व्रत पर पर जरूर करें शिव जी के मंत्रों का जप, महादेव होंगे प्रसन्न

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 05:35 PM (IST)

    हर माह में दो प्रदोष व्रत किए जाते हैं। दिसंबर का पहला प्रदोष व्रत 2 दिसंबर को किया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल में महादेव की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में आप इस दिन पर भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए इन मंत्रों का जप कर सकते हैं।

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    भौम प्रदोष व्रत 2025 शिव जी की कृपा प्राप्ति के लिए मंत्र।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। 2 दिसंबर को प्रदोष व्रत किया जाएगा। मंगलवार के दिन पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat 2025) कहा जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन पूजा के दौरान शिव जी के मंत्रों का जप करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

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    साथ ही आप इस दिन पर पूजा में नटराज स्तुति का भी पाठ कर सकते हैं, जिससे आपको महेदाव की कृपा प्राप्त हो सकती है। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं महादेव की कृपा प्राप्ति के मंत्र और नटराज स्तुति

    प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त -

    मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 2 दिसंबर को दोपहर 3 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 3 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर होगा। इस दिन पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -

    प्रदोष पूजा मुहूर्त - शाम 5 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 7 मिनट तक

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    नटराज स्तुति (Nataraja Stuti)

    सत सृष्टि तांडव रचयिता
    नटराज राज नमो नमः
    हेआद्य गुरु शंकर पिता
    नटराज राज नमो नमः

    गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्माडना
    नित होत नाद प्रचंडना
    नटराज राज नमो नमः

    शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां
    विषनाग माला कंठ मां
    नटराज राज नमो नमः

    तवशक्ति वामांगे स्थिता हे चंद्रिका अपराजिता
    चहु वेद गाए संहिता
    नटराज राज नमोः

    shiv parvati ग

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    मिलते हैं ये लाभ

    नटराज स्तुति का पाठ करने से साधक को कई लाभ मिलते हैं। इससे साधक की रचनात्मकता और आत्मविश्वास बढ़ता है। साथ ही नकारात्मकता भी दूर होती है। यह पाठ आपको कई ग्रहों के अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति दिला सकता है। कला और संगीत से जुड़े जातकों के लिए नटराज स्तुति का पाठ विशेष रूप से लाभकारी माना गया है। 

    भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के मंत्र -

    1. ॐ नमः शिवाय

    2. ॐ नमो भगवते रूद्राय

    3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात

    4. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्

    5. कर्पूरगौरं करुणावतारं
    संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
    सदावसन्तं हृदयारविन्दे
    भवं भवानीसहितं नमामि

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।