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    Pradosh Vrat 2025: शनि प्रदोष व्रत पर इस तरह करें पूजा, शिव जी और शनिदेव होंगे प्रसन्न

    Updated: Fri, 23 May 2025 05:29 PM (IST)

    शनि प्रदोष व्रत Shani Pradosh Vrat 2025) 24 मई को किया जा रहा है। इस दिन पर भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की पूजा करने से भी आपको शुभ परिणाम मिल सकते हैं। इस दिन पर पूजा का मुहूर्त शाम 7 बजकर 20 मिनट से रात 9 बजकर 13 मिनट तक रहने वाला है।

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    Pradosh Vrat 2025 (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कई साधक हर माह में आने वाली त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत करते हैं, जो कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर किया जाता है। इस दिन को शिव जी और माता पार्वती की पूजा-अर्चना के लिए बहुत ही खास माना गया है। ऐसे में आप इस दिन पूजा के दौरान शिव अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् का पाठ कर सकते हैं,  जिससे महादेव की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है। 

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    इस तरह करें शिव जी की पूजा

    • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवितृ हो जाएं और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
    • मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव करें।
    • एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और पार्वती माता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
    • शिवलिंग का कच्चे दूध, गंगाजल, और शुद्ध जल से अभिषेक करें।
    • पूजा के दौरान शिव जी को बेलपत्र, धतूरा और भांग अर्पित करें।
    • इस दिन पर शिव जी को खीर, फल, हलवा आदि का भोग लगा सकते हैं।
    • पूजा के दौरान माता पार्वती को 16 शृंगार की सामग्री अर्पित करें।
    • दीपक जलाकर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
    • सभी लोगों में पूजा का प्रसाद बांटें।

    शिव अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

    शिवो महेश्वरः शम्भुःपिनाकी शशिशेखरः।

    वामदेवो विरूपाक्षःकपर्दी नीललोहितः॥1॥

    शङ्करः शूलपाणिश्चखट्वाङ्गी विष्णुवल्लभः।

    शिपिविष्टोऽम्बिकानाथःश्रीकण्ठो भक्तवत्सलः॥2॥

    भवः शर्वस्त्रिलोकेशःशितिकण्ठः शिवाप्रियः।

    उग्रः कपालीकामारिरन्धकासुरसूदनः॥3॥

    गङ्गाधरो ललाटाक्षःकालकालः कृपानिधिः।

    भीमः परशुहस्तश्चमृगपाणिर्जटाधरः॥4॥

    कैलासवासी कवचीकठोरस्त्रिपुरान्तकः।

    वृषाङ्को वृषभारूढोभस्मोद्धूलितविग्रहः॥5॥

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    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    सामप्रियः स्वरमयस्त्रयीमूर्तिरनीश्वरः।

    सर्वज्ञः परमात्मा चसोमसूर्याग्निलोचनः॥6॥

    हविर्यज्ञमयः सोमःपञ्चवक्त्रः सदाशिवः।

    विश्वेश्वरो वीरभद्रोगणनाथः प्रजापतिः॥7॥

    हिरण्यरेता दुर्धर्षोगिरीशो गिरिशोऽनघः।

    भुजङ्गभूषणो भर्गोगिरिधन्वा गिरिप्रियः॥8॥

    कृत्तिवासाः पुरारातिर्-भगवान् प्रमथाधिपः।

    मृत्युञ्जयः सूक्ष्म-तनुर्जगद्व्यापी जगद्गुरुः॥9॥

    व्योमकेशो महासेनजनकश्चारु विक्रमः।

    रुद्रो भूतपतिःस्थाणुरहिर्बुध्न्यो दिगम्बरः॥10॥

    अष्टमूर्तिरनेकात्मासात्त्विकः शुद्धविग्रहः।

    शाश्वतः खण्डपरशुरजःपाशविमोचकः॥11॥

    मृडः पशुपतिर्देवोमहादेवोऽव्ययो हरिः।

    पूषदन्तभिदव्यग्रोदक्षाध्वरहरो हरः॥12॥

    भगनेत्रभिदव्यक्तःसहस्राक्षः सहस्रपात्।

    अपवर्गप्रदोऽनन्तस्तारकःपरमेश्वरः॥13॥

    ॥ इति श्रीशिवाष्टोत्तरशतदिव्यनामामृतस्त्रोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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    शिव जी के मंत्र -

    शनि प्रदोष व्रत के दिन शिव जी के साथ-साथ शनिदेव के मंत्रों का जप करने से भी आपको लाभ मिल सकता है।

    1. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!

    2. ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।

    3. शनि गायत्री मंत्र

    ॐ शनैश्चराय विदमहे छायापुत्राय धीमहि ।

    4. शनि बीज मंत्र

    ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः ।।

    5. शनि स्तोत्र

    ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम ।

    छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।