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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत पर करें शिव जी के साथ देवी पार्वती की पूजा, सभी कामों में मिलेगी सफलता

    प्रदोष व्रत का पर्व बहुत मंगलकारी माना जाता है। यह हर महीने आता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस व्रत को रखते हैं और शंकर भगवान की पूजा विधिवत करते हैं उन्हें मनचाहा आशीर्वाद मिलता है। इस दिन (Falgun Month Pradosh Vrat 2025 ) पार्वती चालीसा का पाठ भी बहुत शुभ माना गया है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 02 Mar 2025 09:20 AM (IST)
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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत पर करें शिव जी की पूजा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म बहुत ज्यादा महत्व है। यह तिथि भगवान शंकर की पूजा के लिए समर्पित है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार यह व्रत 11 मार्च को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में इस दिन (Falgun Month Pradosh Vrat 2025) प्रदोष काल के समय शिवलिंग पर दूध मिश्रित जल चढ़ाएं।

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    फिर उन्हें बेल पत्र चढ़ाएं। ऋतु फल का भोग लगाएं। शिव जी के वैदिक मंत्रों का जाप करें। ''शिव चालीसा'' का पाठ करें। आरती से पूजा का समापन करें। ऐसा करने से शिव कृपा मिलती है।

    ।।पार्वती चालीसा।। (Parvati Chalisa)

    ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे ।

    षड्मुख कहि न सकत यश तेरो, सहसबदन श्रम करत घनेरो ।

    तेरो पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हित सजाता ।

    अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे ।

    ललित लालट विलेपित केशर, कुंकुंम अक्षत शोभा मनोहर ।

    कनक बसन कञ्चुकि सजाये, कटी मेखला दिव्य लहराए ।

    कंठ मदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभ ।

    बालारुण अनंत छवि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी ।

    नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजित हरी चतुरानन ।

    इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यक्ष रव कूजित ।

    गिर कैलाश निवासिनी जय जय, कोटिकप्रभा विकासिनी जय जय ।

    त्रिभुवन सकल, कुटुंब तिहारी, अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी ।

    हैं महेश प्राणेश, तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे ।

    उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब ।

    बुढा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गावे कोउ तिनकी ।

    सदा श्मशान विहरी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर ।

    कंठ हलाहल को छवि छायी, नीलकंठ की पदवी पायी ।

    देव मगन के हित अस किन्हों, विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो ।

    ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी, दुरित विदारिणी मंगल कारिणी ।

    देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो ।

    भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मय है सलिल तरंगा ।

    सौत सामान शम्भू पहआयी, विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी ।

    तेहि कों कमल बदन मुर्झायो, लखी सत्वर शिव शीश चढायो ।

    नित्यानंद करी वरदायिनी, अभय भक्त कर नित अनपायिनी ।

    अखिल पाप त्रय्ताप निकन्दनी , माहेश्वरी ,हिमालय नन्दिनी ।

    काशी पूरी सदा मन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायीं ।

    भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।

    रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे, वाचा सिद्ध करी अवलम्बे ।

    गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ।

    सब जन की ईश्वरी भगवती, पतप्राणा परमेश्वरी सती ।

    तुमने कठिन तपस्या किणी, नारद सो जब शिक्षा लीनी ।

    अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा ।

    पत्र घास को खाद्या न भायउ, उमा नाम तब तुमने पायउ ।

    तप बिलोकी ऋषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे ।

    तव तव जय जय जयउच्चारेउ, सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ ।

    सुर विधि विष्णु पास तब आए, वर देने के वचन सुनाए ।

    मांगे उमा वर पति तुम तिनसो, चाहत जग त्रिभुवन निधि, जिनसों ।

    एवमस्तु कही ते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए ।

    करि विवाह शिव सों हे भामा, पुनः कहाई हर की बामा ।

    जो पढ़िहै जन यह चालीसा, धन जनसुख देइहै तेहि ईसा ।

    कूट चन्द्रिका सुभग शिर जयति सुख खानी,

    पार्वती निज भक्त हित रहहु सदा वरदानी ।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।