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    Bhaum Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन सुबह के समय करें ये स्तुति, कोई मनोकामना नहीं रहेगी अधूरी

    Updated: Fri, 31 May 2024 08:30 AM (IST)

    प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पर सच्चे मन से की गई पूजा से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। ऐसे में आप प्रदोष व्रत की सुबह इस स्तुति का पाठ करके जीवन में विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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    Bhaum Pradosh Vrat 2024 प्रदोष व्रत पर करें ये स्तुति।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत पर मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत किया जाता है, एक बार शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर और दूसरी बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर। ऐसे में आप ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले भौम प्रदोष व्रत पर सुबह के समय श्री सूर्य स्तुति का पाठ करके भगवान शिव की असीम कृपा के पात्र बन सकते हैं। तो चलिए पढ़ते हैं श्री सूर्य स्तुति।

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    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Bhaum Pradosh Vrat Shubh muhurat)

    ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 03 जून को रात 10 बजकर 48 मिनट पर हो रही है, जो 04 जून को रात 08 बजकर 31 मिनट तक रहने वाली है। ऐसे में ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत 04 जून, मंगलवार के दिन किया जाएगा। भौम प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त शाम 05 बजकर 44 से 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। मंगलवार के दिन पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत के कहा जाएगा है, जिस पर हनुमान जी की पूजा का भी विधान है।  

    । श्री सूर्य स्तुति ।।

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।

    त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

    दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।

    अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।

    विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

    सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।

    वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

    हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।