Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शक्ति पुन: शिव के शरीर में प्रविष्ट हो गई उसी समय से मैथुनी सृष्टि का प्रारंभ हुआ

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Thu, 12 May 2016 11:47 AM (IST)

    स्त्री और पुरुष एक दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। एक के बिना दूसरा अधूरा है। यही बात हिंदू पौराणिक ग्रंथों में भगवान शिव के अवतार अर्धनारीश्वर के रूप में दर्शायी गई है।

    स्त्री और पुरुष एक दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। एक के बिना दूसरा अधूरा है। यही बात हिंदू पौराणिक ग्रंथों में भगवान शिव के अवतार अर्धनारीश्वर के रूप में दर्शायी गई है। शिव का यह स्वरूप इस बात की ओर इंगित करता है कि समाज में जो जगह एक पुरुष की होती है वही महिला की होनी चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लेकिन भगवान ने यह अर्धनारीश्वर अवतार क्यों लिया? इस बात का विस्तार से उल्लेख शिवमहापुराण में मिलता है।

    ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण करने का विचार किया लेकिन अब समस्या यह थी कि सृष्टि की वृद्धि कैसे हो? तब ब्रह्माजी चिंतित हो गए। तब आकाशवाणी हुई कि उन्हें मैथुनी (प्रजनन) सृष्टि का निर्माण करना चाहिए ताकि सृष्टि को बेहतर तरीके से संचालित किया जा सके।

    उस समय तक शिव ने विष्णु और ब्रह्माजी को ही अवतरित किया था। नारी की उत्पत्ति नहीं हुई थी। तब ब्रह्माजी ने शक्ति की उपासना और फिर शिव और शक्ति दोनों एक रूप यानी अर्धनारीश्वर अवतार में प्रकट हुए।

    इस तरह शिव से शक्ति अलग हुईं और फिर शक्ति ने अपनी भृकुटि के मध्य से अपने ही समान कांति वाली एक अन्य शक्ति की सृष्टि की। दक्ष के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया।

    शिव और शक्ति का अर्धनारीश्वर अवतार आंशिक कहा गया है। शक्ति पुन: शिव के शरीर में प्रविष्ट हो गई। उसी समय से मैथुनी सृष्टि का प्रारंभ हुआ। तभी से बराबर प्रजा की वृद्धि होने लगी।

    पढ़ें धर्म और अध्यात्म से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर और पाएं दैनिक राशिफल. डाउनलोड करें जागरण Panchang एप