Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष में क्या है पंचबलि कर्म का महत्व, जिसके बिना अधूरा है श्राद्ध
हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) में पूर्वज धरती पर आकर परिजनों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस अवधि में पितरों के निमि ...और पढ़ें

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष की अवधि भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक चलती है। इस साल यह अवधि 7 सितंबर से 21 सितंबर तक चलने वाली है। पितृ पक्ष में पंचबलि कर्म के बिना पितृ कर्म पूरी तरह से सम्पन्न नहीं होता। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि पितृ पक्ष में पंचबलि कर्म (Panchbali Karma) का क्या महत्व है और इसे किस तरह किया जाता है।
कौन हैं पंचबलि
पंचबलि का अर्थ है पांच हिस्सों में भोजन अर्पित करना। पितृ पक्ष में 5 हिस्सों में देवताओं, चींटी, कौवा, गाय और कुत्ते के लिए भोजन का अंश निकाला जाता है। यह श्राद्ध का प्रमुख हिस्सा है, जिसे पंचबलि कर्म कहा जाता है।
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इस तरह किया जाता है पंचबलि कर्म
1. गौ बलि - पंचबलि कर्म में सबसे पहले गौ माता के लिए भोजन करवाया जाता है। इसके लिए घर की पश्चिम दिशा में पलाश के पत्तों पर रखकर गाय को भोजन करवाया जाता है और इस दौरान 'गौभ्यो नम:' मंत्र का जप करके गाय माता को प्रणाम किया जाता है।
2. श्वान बलि - पंचबली कर्म श्वान बलि अर्थात कुत्ते को पत्ते पर भोजन करवाया जाता है। माना जाता है कि इस कर्म को करने से जातक आकस्मिक संकटों से बचा रहता है।
3. काक बलि - पंचबली कर्म में कौओं को भी भोजन करवाने का विशेष महत्व है। इसके लिए छत पर या भूमि पर पत्तल में कौओं के लिए भोजन रखा जाता है। यह मान्यता है कि अगर कौआ आपका भोजन ग्रहण कर लेता है, तो इसका अर्थ है कि पितृ आपसे प्रसन्न हैं।
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4. देवादि बलि - इस दौरान घर के अंदर पत्तों पर देवताओं के लिए भोजन का अंश निकाला जाता है। बाद में इसे उठाकर घर से बाहर रख दिया जाता है। माना गया है कि इस कर्म को करने से कुलदेवता और कुलदेवी का भी आशीर्वाद जातक को प्राप्त होता है।
5. पिपलिकादि बलि - अंत में चींटी, कीड़े-मकौड़ों आदि के लिए भोजन निकाला जाता है। इस कर्म को करने के लिए जहां भी चींटी आदि के बिल हों, खासकर पीपल के वृक्ष के नीचे, चूरा कर भोजन डाला जाता है।
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