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    Pitru Paksha 2023: पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करने से मिलता है पितरों का आशीर्वाद, जानिए इनके बीच का अंतर

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Tue, 19 Sep 2023 05:30 PM (IST)

    Pitru Paksha 2023 सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत 28 सितंबर 2023 से हो रही है जिसका समापन 14 अक्टूबर 2023 होगा। कई लोग पिंडदान तर्पण और श्राद्ध को एक ही समझ लेते हैं लेकिन इन तीनों की विधियों में अंतर होता है। आइए जानते हैं पिंडदान तर्पण और श्राद्ध के बीच क्या अंतर है।

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    Pitru Paksha 2023 जानिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध में अंतर।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Pitru Paksha Upay 2023: हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तिथि तक पितृपक्ष होता है। इस दौरान पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किए जाने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में पिंडदान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध में अंतर होता है।

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    किसे कहते हैं श्राद्ध

    पक्ष में मृत परिजनों को श्रद्धापूर्वक याद करने को श्राद्ध कहा जाता है। यह पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता अभिव्यक्त करने का एक तरीका है। श्राद्ध के दौरान सबसे पहले प्रातःकाल स्नानादि करने के बाद ईश्वर का भजन करना चाहिए। इसके बाद अपने पूर्वजों का स्मरण करके उन्हें प्रणाम करना चाहिए और उनके गुणों को याद करना चाहिए

    पिंडदान का अर्थ

    पिंडदान का अर्थ होता है अपने पितरों को भोजन का दान देना। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष में हमारे पूर्वज के गाय, कुत्ता, कुआं, चींटी या देवताओं के रूप में आकर भोजन ग्रहण करते हैं। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान भोजन के पांच अंश निकालने का विधान है। पिंडदान के दौरान मृतक के निमित्त जौ या चावल के आटे को गूंथ कर गोल आकृति वाले पिंड बनाए जाते हैं। इसलिए इसे पिंडदान कहा जाता है।

    क्या है तर्पण का अर्थ

    तर्पण का अर्थ होता है जल दान या तृप्त करने की क्रिया। पितृ पक्ष के दौरान हाथ में जल, कुश, अक्षत, तिल आदि लेकर पितरों का तर्पण किया जाता है। इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित किया जाता है और जल को ग्रहण करने की प्रार्थना की जाती है। मान्यता है कि तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही व्यक्ति को उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'