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    Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष के अंतिम दिन लग रहा है सूर्य ग्रहण, किस समय कर पाएंगे श्राद्ध कर्म?

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Fri, 01 Sep 2023 04:43 PM (IST)

    Sarva Pitru Amavasya 2023 पितृपक्ष में अमावस्या तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आश्विन मास की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर 2023 के दिन पड़ रहा है और इसी दिन साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगेगा। ऐसे में इस दिन किस समय किया जाएगा श्राद्ध कर्म? आइए जानते हैं-

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    Pitru Paksha 2023: सर्वपितृ अमावस्या किस समय कर पाएंगे श्राद्ध कर्म?

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Pitru Paksha 2023: हिंदू धर्म में पितृपक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। पितृपक्ष इस दौरान पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान इत्यादि कर्म विधिवत किए जाते हैं। बता दें कि पितृपक्ष में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है और यह पितृपक्ष का अंतिम दिन भी होता है। इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या तिथि 14 अक्टूबर के दिन पड़ रही है और इसी दिन साल का अंतिम सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2023) भी लगेगा। ऐसे में कुछ लोगों के मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन किस समय श्राद्ध कर्म, पिंडदान व तर्पण इत्यादि कर्म करना चाहिए?

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    सर्वप्रथम अमावस्या तिथि अवधि और सूर्य ग्रहण का समय

    पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 13 अक्टूबर रात्रि 09 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी और 14 अक्टूबर मध्य रात्रि 11 बजकर 24 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। वहीं इस दिन सूर्य ग्रहण का समय रात 08 बजकर 34 मिनट से रात्रि 02 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जो भारत में दर्शनीय नहीं होगा। जिस वजह से यहां सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

    सर्वप्रिय अमावस्या का महत्व

    हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि पितृपक्ष की अवधि में श्राद्ध कर्म, पिंडदान व तर्पण इत्यादि कर्म करने से पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति प्राप्त होती है। साथ ही उनका आशीर्वाद परिवार के सदस्यों पर सदैव बना रहता है। आपको बता दें श्राद्ध कर्म पितर के मृत्यु की तिथि के अनुसार किया जाता है। किंतु किसी व्यक्ति को यदि अपने पूर्वज की मृत्यु की तिथि याद नहीं है तो वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध व पिंडदान कर सकता है। वहीं इस साल सूर्य ग्रहण रात्रि के समय लग रहा है और श्राद्ध कर्म दोपहर के समय किया जाता है। इसलिए इन कर्मों पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।