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    Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष के दौरान कैसा हो खानपान? पूर्वजों की नाराजगी से बचने के लिए इन बातों का रखें ख्याल

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Sat, 02 Sep 2023 01:24 PM (IST)

    Pitru Paksha 2023 सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्याओं के अनुसार इस समय में स्नान-ध्यान तर्पण श्राद्ध कर्म आदि करने से व्यक्ति को पितरों की आत्मा को शांति मिलती है साथ ही उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष की इस अवधि में हमारे पूर्वज स्वर्गलोक से मृत्युलोक पर हमसे मिलने आते हैं।

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    Pitru Paksha 2023 पितृपक्ष में इन बातों का रखें ध्यान।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Pitru Paksha 2023: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का काफी महत्व है। पितृ पक्ष 15 दिन तक चलते हैं। इन दिनों में पितरों को याद करके पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म आदि किए जाते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 28 सितंबर से हो रही है, जो 14 अक्टूबर तक चलेगा। पितृपक्ष एक ऐसा समय है जिसमें हम अपने पितरों को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इस समय में कुछ बातों का ध्यान रखा जाना भी जरूरी है। जैसे इन दिनों में खानपान कैसा होना चाहिए।

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    न करें इन चीजों का सेवन

    श्राद्ध की अवधि में मांस आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। यह अवधि पूर्ण रूप से पूर्वजों को समर्पित होती है, जिसमें मांस, मछली, अंडा और शराब का सेवन अशुभ माना जाता है। प्याज और लहसुन तामसिक प्रकृति के माने जाते हैं, इसलिए पितृ पक्ष के दौरान इनके सेवन से भी बचना चाहिए। इस दौरान केवल सात्विक भोजन का ही सेवन करें।

    इस तरह लगाएं भोग

    पितृ पूजा के दौरान पूर्वजों और ब्राह्मणों को भोजन अर्पित करने से पहले भगवान विष्णु को उसका भोग लगाएं। उसके बाद ही वह ब्राह्मणों को दें। पितरों के श्राद्ध के दिन जब तक ब्राह्मण को भोजन न करा दें, तब तक खुद भी भोजन नहीं करना चाहिए। ये आपके पितर के प्रति आपकी श्रद्धा को दर्शाता है। इसके अलावा ब्राह्मण को भोजन करवाते समय मौन रहें। ब्राह्मण भोज कराने के बाद पितरों को मन में याद कर भूल चूक के लिए क्षमा याचना करें।

    इन बातों का रखें ध्यान

    पुराणों के अनुसार, पितृपक्ष के शुभ व मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। इस दौरान किसी जानवर को नुकसान नहीं पहुचाना चाहिए बल्कि इस समय में कौओं, पशु-पक्षियों को अन्न-जल देना फलदायी होता है। इन्हें भोजन देने से पूर्वज संतुष्ट होते हैं।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'