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Pitra Paksha 2020: पितरों को कैसे किया जाता है जल अर्पित और क्या होता है इसका अर्थ, जानें यहां

Pitra Paksha 2020 पितृ पक्ष चल रहा है। इन दिनों लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं। इन दिनों पिंडदान श्राद्ध और तर्पण का विशेष महत्व है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 07:30 AM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 02:45 PM (IST)
Pitra Paksha 2020: पितरों को कैसे किया जाता है जल अर्पित और क्या होता है इसका अर्थ, जानें यहां
Pitra Paksha 2020: पितरों को कैसे किया जाता है जल अर्पित और क्या होता है इसका अर्थ, जानें यहां

Pitra Paksha 2020: पितृ पक्ष चल रहा है। इन दिनों लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं। इन दिनों पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण का विशेष महत्व है। साथ ही पितरों को जल चढ़ाने का भी एक विशेष तरीका है जिसके बारे में उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा से जानते हैं। इनके अनुसार, व्यक्ति को अपने पितरों का तर्पण करते समय हाथ में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को चढ़ाना चाहिए। अगर किसी को अपने पितरों की मृत्यु तिथि न पता हो तो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की अमावस्या पर किया जा सकता है। बता दें कि पितृ पक्ष की अमावस्या 17 सितंबर को है।

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पितरों का श्राद्ध करते समय व्यक्ति को पिंडों पर अपने अंगूठे की मदद से धीरे-धीरे जल चढ़ाना चाहिए। माना जाता है कि अगर अंगूठे से पितरों को जल चढ़ाया जाए तो वो तृप्त हो जाते हैं। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। अंगूठे और तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) के मध्य भाग के कारक पितर देवता होते हैं। यह पितृ तीर्थ कहलाता है। इस तरह चढ़ाया गया जल पितृ तीर्थ से होता हुआ पितरों को अर्पित हो जाता है। इससे पितरों को तृप्त जल्द मिल जाती है।

बता दें कि हथेली अंदर की ओर कर जीवित लोगों को खाना परोसा जाता है। जबकि अंगूठे की तरफ से मृत के लिए जल अर्पित किया जाता इस तरह पितरों को जल अर्पित करने का अर्थ होता है कि हम उन्हें ये संकेत दे कि अब आपका स्थान इस दुनिया में नहीं है बल्कि दूसरी दुनिया में है। क्योंकि पितर देवता का स्थान हमारी दुनिया में नहीं होता है।

इन बातों का रखें खास ख्याल:

पितृ पक्ष में व्यक्ति को अधार्मिक कर्मों या गलत कामों से बचना चाहिए। इन दिनों परंपरा है कि व्यक्ति को किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। अगर व्यक्ति ऐसा नहीं कर पाता है तो घर पर ही स्नान करें। इस दौरान सभी तीर्थों का और पवित्र नदियों का ध्यान करना चाहिए। स्नान करने के बाद अपने सामर्थ्य अनुसार अनाज और धन दान करना चाहिए। इससे सुख-शांति बनी रहती है।  


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