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    Phulera Dooj 2025: फुलेरा दूज आज, नोट करें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

    फुलेरा दूज का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। यह भगवान कृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। इस दिन लोग विधिवत पूजा करते हैं और उन्हें गुलाल आदि चीजें अर्पित करते हैं। हर साल यह पर्व फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह (Phulera Dooj 2025) 1 मार्च 2025 यानी आज मनाया जा रहा है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 01 Mar 2025 09:25 AM (IST)
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    Phulera Dooj 2025: फुलेरा दूज पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। फुलेरा दूज हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए समर्पित है। उत्तर भारत में इसे बड़े उत्साह और भव्यता के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान भक्त भगवान कृष्ण का आशीर्वाद लेने के लिए कृष्ण मंदिरों में जाते हैं और उन्हें फूल, रंग व गुलाल अर्पित करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाता है।

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    इस साल यह (Phulera Dooj 2025) 1 मार्च, 2025 यानी आज मनाया जा रहा है, तो आइए इसकी पूजा विधि से लेकर पूरी जानकारी यहां पर जानते हैं।

    राधा-कृष्ण को जरूर चढ़ाएं

    पीले व लाल रंग के गुलाल और तरह-तरह के फूल।

    फुलेरा दूज पूजा मुहूर्त (Phulera Dooj 2025 Puja Muhurat )

    पंचांग के अनुसार, त्रिपुष्कर योग सुबह 06 बजकर 46 मिनट से 11 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। फिर अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। इसके बाद विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 18 मिनट से 06 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।

    निशिता मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पूजा से लेकर कोई भी शुभ काम किया जा सकता है।

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    फुलेरा दूज पूजा विधि (Phulera Dooj 2025 Puja Vidhi )

    • भक्त सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
    • घर को साफ करें।
    • एक वेदी पर राधा-कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें।
    • अगर आपके पास राधा कृष्ण की मूर्ति नहीं है, तो आप उनकी तस्वीर और लड्डू गोपाल जी की मूर्ति भी रख सकते हैं।
    • गंगाजल, गुलाब जल, फूल या पंचामृत से स्नान कराएं।
    • सुंदर वस्त्र पहनाएं और झूले पर बिठाएं।
    • तरह-तरह के फूल व गुलाल अर्पित करें।
    • देसी घी का दीया जलाएं।
    • कृष्ण जी के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
    • घर पर बनी मिठाई, पंजीरी, पंचामृत, खोया की बर्फी, चावल की खीर और मखाने की खीर आदि का भोग लगाएं। पूजा में तुलसी पत्र जरूर शामिल करें।
    • राधा-कृष्ण की भव्य आरती करें।
    • अंत में परिवार के प्रत्येक सदस्यों और अन्य लोगों में प्रसाद बांटें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।