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    Phoolwali Holi 2024: कई मायनों में है खास वृंदावन की फूलों वाली होली, राधा-कृष्ण से जुड़ा है अस्तित्व

    Updated: Wed, 20 Mar 2024 01:59 PM (IST)

    होली भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। होली का त्योहार न केवल रंगों से खेला जाता है बल्कि फूलों वाली होली भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस साल वृन्दावन में फूलवाली होली आज यानी 20 मार्च को मनाई जा रही है। ऐसे में आइए जानते हैं फूलों वाली होली किस प्रकार मनाई जाती है और इसका क्या महत्व है?

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    Phoolwali Holi 2024 फूलों वाली का महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Phoolwali Holi 2024 Vrindavan: हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर होली का उत्सव मनाया जाता है। ऐसे में साल 2024 में 25 मार्च को होली का पर्व मनाया जा रहा है। लेकिन ब्रज क्षेत्र यानी मथुरा, वृन्दावन, बरसाना और नंदगांव आदि में कई दिनों पहले से ही होली का त्योहार शुरू हो जाता है। इस दौरान लठमार होली, लड्डू होली और फूलों वाली होली भी खेली जाती है। इस स्थानों पर होली के पर्व का आनंद उठाने न केवल देश बल्कि विदेशों में भी लोग पहुंचते हैं।

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    यह है मान्यता

    ब्रज क्षेत्र में होली का पर्व बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां पर लठमार होली, लड्डू होली और फलों वाली होली विश्व प्रसिद्ध हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण और राधा रानी और गोपियों संग फूलों वाली होली खेली थी। तभी से इस होली का चलन बना हुआ है।

    ऐसे खेली जाती है ये होली

    फूलवाली होली के दौरान, भक्त फूलों और फूलों की प्राकृतिक डाई से बने रंगों के साथ त्योहार खेलते हैं। वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में फूल वाली होली की विशेष धूम देखने के मिलती है। इस अवसर पर भक्त मंदिर में एकत्रित होते हैं, जहां मंदिर के पुजारी भक्तों पर रंग-बिरंगे फूलों की वर्षा करते हैं। इसके साथ ही लोग एक-दूसरे पर गुलाब, कमल और गेंदे के फूल की पंखुड़ियां बरसाते हैं। इस दौरान लोग होली के गीत व भजन गाते हैं और नृत्य भी करते हैं।

    इसलिए भी है खास

    फूलों की होली इस मायने में भी खास है क्योंकि यह होली प्रकृति का सम्मान करने का भी संकेत देती है। वहीं सिंथेटिक रंगों की तुलना में, फूलों का उपयोग स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण की दृष्टि से भी बेहतर माना जाता है, क्योंकि फूलों की होली से त्वचा और आंखों को सुरक्षित रहती ही हैं। साथ ही इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'