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    Phalgun Amavasya 2025: फाल्गुन अमावस्या कब? यहां पढ़िए पूजा से लेकर स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

    Updated: Sat, 22 Feb 2025 03:20 PM (IST)

    हिंदू धर्म में फाल्गुन अमावस्या को बेहद खास माना जाता है। अमावस्या तिथि (Falgun Amavasya 2025) पर पवित्र नदी में स्नान-दान मंत्र जाप हवन और पूजा-पाठ आदि करना बहुत अच्छा माना जाता है लेकिन इस मौके पर कोई भी नया कार्य नहीं करना चाहिए। इससे उसमें विघ्नों का सामना करना पड़ता है। वहीं इस दिन गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त क्या है? आइए यहां पर जानते हैं।

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    Phalgun Amavasya 2025:फाल्गुन अमावस्या 2025 स्नान-दान समय।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अमावस्या का दिन पितरों की पूजा करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह दिन पिंडदान और पितृ तर्पण के लिए बहुत विशेष माना जाता है। हिंदुओं के बीच इस तिथि का बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, जब लोग विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्य करते हैं। इस माह फाल्गुन अमावस्या (Phalgun Amavasya 2025) 27 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।

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    कहते हैं कि इस दिन स्नान और दान जरूर करना चाहिए। इससे यश और वैभव में वृद्धि होती है, तो आइए यहां पर स्नान और ध्यान का शुभ समय जानते हैं, जो इस प्रकार है।

    फाल्गुन अमावस्या 2025 स्नान-दान समय (Amavasya 2025 Snan-Daan Shubh Muhurat)

    फाल्गुन अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 9 मिनट से लेकर 5 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। वहीं, इस तिथि पर शिव योग और सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। शिव योग सुबह 5 बजकर 9 मिनट से रात 11 बजकर 40 मिनट तक रहेगा, जबकि सिद्धि योग रात 11 बजकर 40 मिनट से अगले दिन तक रहेगा।

    अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 16 मिनट से 01 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इसके बाद अमृत काल सुबह 6 बजकर 2 मिनट से सुबह 7 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप स्नान-ध्यान के साथ कोई शुभ काम कर सकते हैं।

    फाल्गुन अमावस्या 2025 डेट और टाइम (Phalgun Amavasya Kab hai?)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 27 फरवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 28 फरवरी को सुबह 06 बजकर 14 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी को मनाई जाएगी।

    फाल्गुन अमावस्या 2025 पूजा मंत्र (Phalgun Amavasya Puja Mantra)

    • ॐ पितृ देवतायै नम:।।
    • ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम।।
    • ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।