Pauranik Kathayen: ज्ञान और दान सुपात्र को ही देना चाहिए, पढ़ें भस्मासुर को शिव के वरदान की यह कथा
Pauranik Kathayen प्राचीन काल में भस्मासुर नाम का एक दानव या राक्षस हुआ करता था। वह चाहता था कि वो पूरी दुनिया पर राज करे। इस इच्छा में उसने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की।
Pauranik Kathayen: प्राचीन काल में भस्मासुर नाम का एक दानव या राक्षस हुआ करता था। वह चाहता था कि वो पूरी दुनिया पर राज करे। इस इच्छा में उसने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। बरसों तक उसने सच्चे मन से शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तप किया और अंत में भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए। शिवजी ने उसे वरदान मांगने को कहा।
शिवजी से भस्मासुर ने अमरत्व का वरदान मांगा। लेकिन शंकर जी ने उसकी मांग को मना कर दिया क्योंकि यह सृष्टि विरुद्ध वरदान था जो विधान के खइलाफ था। भस्मासुर ने अपनी मांग को बदल दिया और मांगा कि वो जिसके भी सिर पर हाथ रखे वो भस्म हो जाए। शिवजी ने उसे यह वरदान दे दिया। वरदान मिलने के बाद वो शिवजी के पीछे उन्हें भस्म करने के लिए भाग पड़ा।
शिवजी ने जैसे-तैसे इपनी जान बचाई और विष्णु जी की शरण में जा पहुंचे। शिवजी ने भगवान विष्णु को सारी बात बताई। विष्णु जी ने भस्मासुर का अंत करने के लिए मोहिनी रूप धरा। जब भस्मासुर शिवजी को भस्म करने के लिए ढूंढ रहा था तब उसके सामने विष्णु जी अपने मोहिनी अवतार में प्रकट हो गए। वे इतने सुंदर थे कि भस्मासुर मुग्ध हो गया। मोहिनी को देखकर वह वहीं रुक गया। भस्मासुर ने मोहिनी के सामने विवाह का प्रस्वाव रखा और मोहिनी ने कहा कि वो केवल उसी व्यक्ति से विवाह करेगी जो उसकी तरह नृत्य में कुशल हो।
लेकिन भस्मासुर को नृत्य नहीं आता था। इस काम में मोहिनी से मदद मांगी। इस पर मोहिनी तुरंत तैयार हो गई। मोहिनी ने नृत्य सिखाते-सिखाते अपना हाथ भस्मासुर के सिर पर रख दिया। इतने में ही भस्मासुर ने भी गलती से अपना हाथ खुद अपने ही सिर पर रख दिया। वो यह भूल गया था कि शिवजी से उसे क्या वरदान मिला है। अपने हाथ को अपने ही सिर पर रखकर वो खुद ही भस्म हो गया। इस तरह विष्णु जी की मदद से भोलेनाथ की समस्या का हल हो गया।
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