Pauranik Kathayen: जब ऋषि दुर्वासा ने इंद्र को कर दिया था श्री-हीन, पढ़ें यह पौराणिक कथा
Pauranik Kathayen एक बार ऐसा हुआ था कि दुर्वासा ऋषि द्वारा दिए गए श्राप के चलते तीनों लोग श्री-हीन हो गए थे। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसका वर्णन हम आपके लिए यहां कर रहे हैं।
Pauranik Kathayen: एक बार ऐसा हुआ था कि दुर्वासा ऋषि द्वारा दिए गए श्राप के चलते तीनों लोग श्री-हीन हो गए थे। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसका वर्णन हम आपके लिए यहां कर रहे हैं। तो कछा कुछ ऐसी है कि एक बार दुर्वासा ऋषि ने ऐसा श्राप दिया था जिससे तीनों लोक श्री-हीन हो गए थे। यह तो हम सभी जानते हैं कि दुर्वास ऋषि अपने क्रोध के चलते काफी विख्यात रहे हैं। ऐसे में एक बार ऋषि दुर्वासा ने इंद्र को पारिजात पुष्पों की एक माला भेंट की थी। यह माला इंद्र को बिल्कुल पसंद नहीं आई।
इन्द्र को हमेशा से ही अपने धन-वैभव का अभिमान था। इसी अभिमान को दिखाते हुए उन्होंने ऋषि दुर्वासा द्वारा भेंट की गई पारिजात पुष्पों की माला का तिरस्कार किया। यही नहीं, इंद्र ने उस मामला को हाथी ऐरावत के गले में पहना दिया। लेकिन हाथी ऐरावत ने उस माला को अपनी सूंड से उठाकर क्षत-विक्षत कर दिया था। ऋषि दुर्वासा द्वारा दी गई आदर और प्रेम की इस भेंट की यह दुर्दशा देखकर वो अत्यंत क्रोधित हो गए। अपने क्रोध में ऋषि दुर्वासा ने इन्द्र को श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि जिस धन समृद्धि के बल पर तुम्हें इतना अभिमान है और जिस अभिमान में तुमने मेरे द्वारा दी गई भेंट का अनादर किया है, आज से तुम उस लक्ष्मी से विहीन हो जाओगे।
ऋषि दुर्वासा के श्राप से देवराज इंद्र तीनों लोकों से श्री-हीन हो गए थे। बता दें कि देवराज इन्द्र जो तीनों लोकों के अधिपति थे वो इस श्राप से श्रीहीन की स्थित में आ गए थे। यह पौराणिक कथा हमें इस बात के लिए प्रेरित करती है कि किसी भी व्यक्ति को अपने धन-वैभव पर इतना ज्यादा अभिमान नहीं होना चाहिए। अपने अभिमान में किसी के द्वारा दी गई भेंट का अनादर नहीं करना चाहिए।

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