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Pauranik Kathayen: भगवान सूर्य की कैसे हुई उत्पत्ति, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen आज रविवार है और आज के दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है। सूर्यदेव और चंद्रदेव साक्षात देव माने जाते हैं। पृथ्वी पर जीवन है तो सूर्यदेव से ही है। वेदों के अनुसार सूर्य को जगत की आत्मा माना गया है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 09:03 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 09:03 AM (IST)
Pauranik Kathayen: भगवान सूर्य की कैसे हुई उत्पत्ति, पढ़ें यह पौराणिक कथा
Pauranik Kathayen: भगवान सूर्य की कैसे हुई उत्पत्ति, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen: आज रविवार है और आज के दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है। सूर्यदेव और चंद्रदेव साक्षात देव माने जाते हैं। पृथ्वी पर जीवन है तो सूर्यदेव से ही है। वेदों के अनुसार, सूर्य को जगत की आत्मा माना गया है। लोग सूर्यदेव की अराधना पूरे विधि-विधान के साथ और उन्हें अर्घ्य देकर करते हैं। साथ ही उनकी स्तुति और मंत्रों का भी जाप करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूर्यदेव की उत्पति कैसे हुई। अगर नहीं तो जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपको इसके पीछे छिपी पौराणिक कथा की जानकारी दे रहे हैं।

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मार्कंडेय पुराण के अनुसार, जब पूरे जगत में प्रकाश नहीं था तब कमलयोनि ब्रह्मा जी प्रकट हुए। उनके मुख से जो पहला शब्द निकला वो था ॐ। यह शब्द सूर्य के तेज का सूक्ष्म रूप था। फिर ब्रह्मा जी ने चारों मुखों से चार वेद प्रकट किए। यह चारों मिलकर ॐ के तेज में एकाकार हो गए। ब्रह्मा जी ने प्रार्थना की जिससे सूर्य ने अपने महातेज को समेट कर स्वल्प तेज को धारण किया।

जब सृष्टि की रचना हुई थी तब ऋषि कश्यप जो ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि के पुत्र थे, का विवाह अदिति से हुआ था। अदिति ने भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के घोर तपस्या की। उनके तप का फल यह मिला कि सुषुम्ना नाम की किरण ने उनके गर्भ में प्रवेश किया। इस अवस्था में भी अदिति के कठिन व्रत नहीं थमे। वो चान्द्रायण जैसे कठिन व्रतों का पालन करती रहीं। यह देख ऋषि राज कश्यप बेहद क्रोधित हुए। उन्होंने कहा कि इस अवस्था में व्रत करने से गर्भस्थ शिशु को नुकसान होगा। इस तरह शिशु मर जाएगा। तुम क्यों शिशु को मरना चाहती हो।

यह सुन अदिति ने उसके गर्भ में पल रहे बालक को उदर से बाहर निकाल दिया। यह बेहद दिव्य तेज से प्रज्वल्लित हो रहा था। इसके बाद सूर्य भगवान शिशु के रूप में अदिति के गर्भ में प्रगट हुए। अदिति को मारिचम- अन्डम कहा जाता था। इससे ही बालक का नाम मार्तंड पड़ा। ब्रह्मपुराण में अदिति के गर्भ से जन्मे सूर्य के अंश को विवस्वान कहा गया है।  

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ' 


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