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    Pauranik Kathayen: लालच है बुरी बला, पढ़ें धृतराष्ट्र के पुत्र मोह की यह पौराणिक कथा

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sun, 22 Nov 2020 03:25 PM (IST)

    Pauranik Kathayen हस्तिनापुर के राजा का नाम धृतराष्ट्र था और वे जन्म से ही अंध थे। घर के ज्येष्ठ पुत्र होने के बाद भी वे अंधे होने के चलते राजा बनने के योग्य नहीं थे। वहीं राजा पांडु एक गंभीर बीमारी का शिकार हो गए थे...

    Pauranik Kathayen: लालच है बुरी बला, पढ़ें धृतराष्ट्र के पुत्र मोह की यह पौराणिक कथा

    Pauranik Kathayen: हस्तिनापुर के राजा का नाम धृतराष्ट्र था और वे जन्म से ही अंध थे। घर के ज्येष्ठ पुत्र होने के बाद भी वे अंधे होने के चलते राजा बनने के योग्य नहीं थे। वहीं, राजा पांडु एक गंभीर बीमारी का शिकार हो गए थे जिसके चलते वो वन प्रस्थान कर गए थे। इस स्थिति में राज्य का सिंहासन रिक्त था जो कि रिक्त रखा नहीं जा सकता था। ऐसे में धृतराष्ट्र को ही पांडु का प्रतिनिधि राजा बनाया गया। उन्हें राजसुख का स्वाद लग गया था ऐसे में वो यह चाहते थे कि आगे चलकर यानी उनके बाद हस्तिनापुर का राजा उनका पुत्र दुर्योधन बने।

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    इसी लालच में उन्होंने न्याय और अन्याय में तर्क करना छोड़ दिया। वह अपने पुत्र की हर ज्यादती को अनदेखा करते गए और पांडु पुत्रों से पग-पग पर अन्याय करते गए। स्थिति ऐसी हुई कि दुर्योधन के मन में भी पांडवों के लिए घृणा आ गई। दुर्योधन ने कई तरह की चेष्टाएं की जिनमें भीम को जहर देकर नदी में डुबोना, लाक्षाग्रह में आग लगा कर पांडु पुत्रों और कुंती को जिंदा जलाना, द्रौपदी चीर हरण, द्यूत क्रीडा में कपट, पांडवों को वनवास, आदि शामिल था। सब गलत हो रहा है यह पता होते हुए भी घृतराष्ट्र अन्याय को अनदेखा करते चले गए।

    लेकिन पाप का घड़ा तो भरना ही था। जब उनके पाप का घड़ा भर गया, तब धर्म युद्ध हुआ। इस महायुद्ध यानी महाभारत के युद्ध में धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों की मृत्यु हो गई। अपने समस्त पुत्रों की मृत्यु के बाद धृतराष्ट्र ने युद्ध समाप्ती के बाद भी भीमसेन को अपनी भुजाओं में जकड़कर मार डालने की कोशिश की। वहीं, आखिर में उन्हें शर्मिंदा होना पड़ा। हार स्वीकार कर धृतराष्ट्र पत्नी सहित वन चले गए। इस पौराणिक कथा से सीख मिलती है कि लालच बुरी बला है। अगर कोई व्यक्ति लालच करता है तो उसका अंत भी धृतराष्ट्र जैसा ही होता है।  

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '

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