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Pauranik Kathayen: जानें शिवजी क्यों पहनते हैं बाघ की खाल, यहां पढ़ें पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen देवों के देव महादेव अपने शरीर पर कई चीजों धारण करते हैं। जैसे गले में साप और बाघ की खाल। गले में सांप के बारे में तो कहा जाता है कि यह वासुकी नाग हैं जिन्हें शिवजी ने धारण किया हुआ है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 11:16 AM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2021 11:16 AM (IST)
Pauranik Kathayen: जानें शिवजी क्यों पहनते हैं बाघ की खाल, यहां पढ़ें पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen: देवों के देव महादेव अपने शरीर पर कई चीजों धारण करते हैं। जैसे गले में साप और बाघ की खाल। गले में सांप के बारे में तो कहा जाता है कि यह वासुकी नाग हैं जिन्हें शिवजी ने धारण किया हुआ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देवों के देव महादेव अपने शरीर पर शेर की खाल क्यों धारण करते हैं? अगर नहीं, तो आपको बता दें कि इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है। आइए जानते हैं इस कथा को।

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एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने हिरण्याकश्यिप का वध करने के लिए नरसिंह अवतार धारण किया था तब वे आधे नर और आधे सिंह के रूप में में थे। इसका वध करने के बाद नरसिंह बेहद क्रोध में थे। तब शिवजी ने अपने अंश अवतार को उत्पन्न किया जिसका नाम वीरभद्र था। तब उन्होंने नरसिंह अवतार से प्रार्थना की कि वो अपना क्रोध त्याग दें। लेकिन नरसिंह नहीं माने तब शिवजी के अंश अवतार वीरभद्र ने शरभ का रूप लिया। यह गरुड़, सिंह और मनुष्य का मिश्रित रूप था।

शरभ ने नरसिंह भगवान को अपने पंजे से उठा लिया। वे उनपर अपनी चोंच से वार करने लगा। इसके वार से नरसिंह भगवान घायल हो गए। तब उन्होंने अपना शरीर त्यागने का निर्णय लिया। उन्होंने भगवान शिव से निवेदन किया कि वे अपने आसन के रूप में नरसिंह के चर्म को स्वीकार करें। ऐसा कहा जाता है कि वे विष्णु जी के शरीर में नरसिंह भगवान मिल गए और शंकर जी ने इनके चर्म को अपना आसन बनाया। यही कराण है कि शिवजी बाघ की खाल पर बैठते हैं।  

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '


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